दिल्ली । 22 फरवरी यानी कल किसान संगठनों और सरकार के बीच MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर मीटिंग होगी। उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया आएगी। किसानों ने आश्वासन दिया है कि अगर सरकार इस कानून पर सहमति बनाती है, तो वे अपने घर लौट जाएंगे।
हरियाणा के सोनीपत में किसानों ने खनौरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन का समर्थन किया है। पंजाब और हरियाणा के किसान महीनों से इस बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठनों और सरकार के बीच 22 फरवरी को एक और महत्वपूर्ण बैठक होनी है, जिसमें किसानों ने उम्मीद जताई है कि सरकार MSP कानून की घोषणा करेगी। 14 फरवरी को हुई बातचीत में सरकार से यह मुद्दा उठाया गया था और अब किसान आंदोलनकारियों को उम्मीद है कि इस बार उनकी आवाज़ सुनी जाएगी।
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किसान नेताओं ने सरकार से यह भी कहा कि उनकी 12-13 जायज मांगें हैं, जिनमें कोई भी गलत नहीं है। किसानों को उम्मीद है कि सरकार 22 फरवरी को MSP कानून की घोषणा करेगी, ताकि आंदोलन खत्म किया जा सके। वहीं किसानों का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों को मानती है, तो वे अगले दिन ही अपने घर लौट जाएंगे।
यदि सरकार फिर से अनसुनी करती है, तो सोनीपत के किसान और अधिक ताकत के साथ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होंगे और दिल्ली कूच करने का भी फैसला कर सकते हैं।
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किसान संगठनों ने सरकार से 22 फरवरी की मीटिंग में MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) कानून को लेकर सकारात्मक निर्णय की उम्मीद जताई है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि अगर सरकार इस कानून पर सहमति बनाती है, तो वे अपने घर लौट जाएंगे। पिछले तीन महीनों से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा है कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से ले और किसानों का आंदोलन शांतिपूर्वक समाप्त हो। इस आंदोलन के दौरान किसान संगठनों ने MSP गारंटी कानून की मांग उठाई है और इसे लेकर सरकार और किसानों के बीच लगातार बातचीत चल रही है।