कौड़ियों के भाव टमाटर बेचने को क्यों मजबूर हुए किसान?

इस बार टमाटर के रेट इतने गिर गए हैं कि, किसानों के लिए लागत निकालने मुश्किल हो गया है। किसान 2-5 रुपये में टमाटर बेचने को मजबूर हैं।

इस बार टमाटर के रेट इतने गिर गए हैं कि, किसानों के लिए लागत निकालने मुश्किल हो गया है। किसान 2-5 रुपये में टमाटर बेचने को मजबूर हैं।

खेती सिर्फ मेहनत का नहीं, जोखिम का भी दूसरा नाम है। एक तरफ मौसम की मार, तो दूसरी तरफ मंडी के दाम। आज का किसान हर मोर्चे पर जूझ रहा है। इस वक्त देश के कई हिस्सों में टमाटर की बंपर पैदावार ने किसानों को राहत नहीं, बल्कि और बड़ी मुसीबत में डाल दिया है। मार्केट में टमाटर 2-5 रुपये किलो जा रहा है। किसानों का कहना है कि, लागत निकालना मुश्किल हो गया है।

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के किसान मोहम्मद लईक खान ने न्यूज़ पोटली को बताया, “मैंने 2.5-3 बीघा टमाटर लगाया था 39 हजार रुपये की लागत लगी है। मुश्किल से 10-12 हजार रुपये का टमाटर निकला है। 40-50 रुपये खर्च आ जाता है एक कैरेट तुड़वाकर उसे मंडी तक ले जाने का, और बिकता है, वहां 50 रुपये, 40 रुपये। इसलिए मैंने इसको ऐसे ही छोड़ दिया है। 2-5 रुपये किलो दे देते हैं, गांव में। इस टमाटर को निकाल कर दूसरी कोई फसल लगा देंगे इसमें। आगे चलकर देखिए किसकी खेती करते हैं, क्या करते हैं? लौकी में भी घाटा हो गया था। हमने सोचा टमाटर लगा दें। 4-6 दिन तो सही दाम मिला, लेकिन टमाटर के दाम इतने गिर गए। कोई उनको पूछने वाला नहीं है।“

खेती अब घाटे का सौदा बन गई है?

न्यूज़ पोटली ने कई किसानो से बात की, सभी का यही जवाब है था कि, इस बार ज्यादा पैदावार होने की वजह से टमाटर के भाव इतने गिर गए हैं कि, लागत तक नहीं निकाल पा रहे। औने-पौने दामों पर टमाटर बेच रहे, इससे जो भी रुपये जुटा सकें उससे दूसरी फसल लगाएंगे।

MSP की मांग

लंबे वक्त से सब्जियों पर भी MSP की मांग हो रही है। इसके पीछे का तर्क यही है कि, दूसरी फसलों की तरह ही सब्जियों की फसल भी अक्सर बर्बाद हो जाती है, जिसकी वजह से किसान उसे कम रेट पर बेचने को मजबूर होते हैं। अगर MSP तय हो जाएगी तो शायद इतना हो जाए कि, किसानों क उनकी लागत निकल आए।