भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है और कुसुमा अपने अंधेरे घर में डीजल का दिया जलाकर उजाला तलाश रही हैं। जबसे वो ब्याह कर इस घर में आई हैं यही उनका रोज काम काम है। सिर्फ कुसुमा ही नहीं उनके गांव के तमाम घरों में लगभग ऐसा ही होती है। वो बताती हैं उनकी सास को अंधेरे में काम करने की आदत हो गई है वो कई काम धुप्प अंधेरे में भी कर लेती हैं। कुसुमा कहती है उनका दुर्भाग्य है कि घर से 100 मीटर की दूरी पर 11 हजार बोल्ट की हाईटेंशन लाइन गुजरी और गांव में कनेक्शन नहीं है। सिर पर प्लास्टिक का एक कैन रखे और कमर के सहारे पानी से भरे गगरे को थामे कुसुमा के पड़ोस में रहने में रहने वाली एक महिला ने कहा, सुबह-शाम पानी ढोते-ढोते सर घिसा जा रहा है लेकिन बिजली नहीं आ रही है। बिजली आ जाए तो मोटर लगवा लें।
कुसुमा झांसी जिले में मौरियाना गांव में रहती हैं, जो मऊरानापुर तहसील की ग्राम पंचायत कटेरा देहात का एक पुरवा या मजरा है, छोटे गांव को यहां झिरक कहा जाता है। कटेरा देहात ग्राम पंचायत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 310 किलोमीटर है। कटेहा देहात ग्राम पंचायत में 35 मजरे हैं, जिनमें से कुछ में 25 साल पहले तो कुछ में 2 साल पहले तक लाइट पहुंच गई लेकिन जिनमें से 6 मजरे यानि गांव ऐसे हैं जहां आज तक बिजली नहीं पहुंची है। इनमें से कुछ गांवों के पास से बिजली के तार गुजरे हैं लेकिन गांव के लिए डीपी और ट्रांसफार्मर का इंतजाम नहीं किया गया है। लेकिन कुछ पुरैना समेत कई गांव ऐसे हैं जहां आधा किलोमीटर दूर के गांव में बिजली है, लेकिन उनके यहां नहीं पहुंची।
देखिए आजादी के 75 बाद भी बिजली को तरस रहे झांसी जिले के गांवों की कहानी
बुंदेलखंड के झांसी जिले में कई गांव ऐसे भी हैं जहां पानी की भी व्यवस्था नहीं है। लड़कियों और महिलाओं का पूरा पूरा दिन पानी भरने में बीत रहा है। देखिए वीडियो
Arvind Shukla is a freelance journalist and founder of News Potli, a website that tells the stories of farmers, women, and tribal people.
Based in Lucknow, Uttar Pradesh, he grew up in a farming community and has spent years documenting the impact of climate threats, such as droughts, floods, and water shortages, on farmers and their livelihoods.
He has previously written about the plight of sugar workers, including a story focusing on how mills in Uttar Pradesh and Maharashtra owe sugarcane cutters billions in outstanding payments.