बस्ती (उत्तर प्रदेश)। बागवानी करना या पेड़-पौधों की देखभाल करना लोगों का शौक बनता जा रहा है। शहरी इलाकों में बालकनी, टैरिस में लोग बडे मन से गमलों में पौधे लगाते हैं। बीते कई वर्षों से गार्डेनिंग के क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर सृजित हुए हैं। अगर आप बागवानी या इससे जुड़ें कार्यों में रुचि रखते हैं या इस क्षेत्र में करियर बनाने के बारे में सोच रहें हैं तो ये खबर आपके काम की है।
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में स्थित उद्यान विभाग औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र में आठवीं पास युवकों को माली बनने के लिए 49 दिनों का प्रशिक्षण निशुल्क दिया जाता है| प्रशिक्षण के बाद अभ्यार्थियों को प्रमाण पत्र भी दिया जाता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए संस्थान की ओर से विज्ञापन निकाला जाता है। ट्रेनिंग में प्रशिक्षुओं को बागवानी, साकभाजी व लैंडस्केपिंग समेत कई अन्य विषयों के बारे में बताया जाता है।
औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र के संयुक्त निदेशक डॉ वीरेन्द्र यादव बताते हैं, “सरकार की योजना कौशल विकास मिशन के तहत हम आसपास के जिलों के 18 वर्ष से अधिक कम से कम कक्षा 8 पास युवकों को माली की ट्रेनिंग देते हैं। ये ट्रेनिंग 49 दिन (290 घंटे) की होती है। इसमें संस्थान की ओर से प्रशुक्षिओं के लिए रहने व खाने की व्यवस्था की जाती है। प्रशिक्षण के बाद प्रमाण पत्र भी दिया जाता है। ट्रेनिंग के बाद अभ्यार्थियों के लिए बागवानी, लैंडस्केपिंग, शहरों में घरों में गमलों की देखभाल समेत कई अन्य कार्य कर सकते हैं।”
“माली की ट्रेनिंग के लिए यूपी में रहने वाला कोई भी युवा आवेदन कर सकता है। आवेदन की उम्र 18 वर्ष से कम न हो और कम से कम 8वीं पास होना चाहिए। ट्रेनिंग के साथ रहना, खाना भी मुफ्त है। इस प्रमाण पत्र बहुत लोगों को रोजगार मिला है।” डॉ. वीरेंद्र यादव, संयुक्त निदेशक, औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र, बस्ती, यूपी

ऐसे करें आवेदन
माली प्रशिक्षम कार्यक्रम के लिए संस्थान की ओर से नोटिफिकेसन जारी किया जाता है। जिसमें इच्छुक अभ्यार्थी अपना नाम, पता, सरकार द्वारा जारी आईडी, मोबाइल नम्बर, शैक्षित योग्यता के साथ कार्यालय में जाकर पंजीकरण करवाना होगा। इसके बाद प्रशिक्षण के कुछ दिन पूर्व संस्थान द्वारा सूचित किया जाता है कि ट्रेनिंग के लिए कब आना है।
सरकारी नौकरी के भी अवसर
ज्यादातर सरकारी संस्थानों में पेड़ पौधों की देखभाल के माली के लिए पद होता है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद प्रशिक्षु सरकारी नौकरी के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।
शहर में पौधों की देखभाल के लिए रखते माली
आजकल बड़े शहरों में लोग घरों में पेड़ पौधों की देखभाल के लिए माली को रखते हैं। जिसमें माली 8 से 10 घरों में गमलों में लगे पेड़-पौधों की देखभाल करते हैं। हफ्ते में एक या दो बार जाते हैं इससे उन्हे अच्छी आय होती है।
डॉ वीरेन्द्र यादव के मुताबिक प्रशिक्षण पाने के बाद युवकों के लिए रोजगार के अवसर सृजित हो जाते हैं। प्रशिक्षण के आधार पर कई युवकों को कई बड़े शहरों में भी रोजगार मिला है।
खोल सकते हैं अपना नर्सरी व्यवसाय
अगर आप कुशल माली हैं तो खुद की नर्सरी भी खोल सकते हैं। अब शहर ही नहीं ग्रामीण इलाकों में भी पेड़ पौधों की नर्सरी की मांग बढ़ रही है। ऐसे में आप किसी हाईवे या सड़क के आसपास अपनी नर्सरी भी खोल सकते हैं।