बहुउपयोगी मोरिंगा की खेती से करोड़ों की कमाई, जानिए पोषक तत्वों से भरपूर सहजन की खेती कैसे होती है?

मोरिंगा एक बहुउपयोगी पौधा है। इसको सहजन या ड्रमास्टिक के नाम से भी जानते हैं। देश के कई क्षेत्रों में इसे सीजना, सुरजना, शोभाजन, मरूगई, मरूनागाई, इण्डियन हार्सरैडिश आदि नामों से भी जाना जाता है। भारत में सहजन का उपयोग दक्षिण भारत में अधिकता से सांभर एवं सब्जी के रूप में किया जाता है क्योंकि दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाला सहजन के पेड़ होते हैं जबकि उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है।

पोषक तत्वों से भरपूर मोरिंगा
पोषक तत्वों से भरपूर होता है सहजन। यह एक अध्ययन से पता चला है कि इसमें दूध की तुलना में चार गुणा potassium और संतरे की तुलना में सात गुणा Vitamin C मिलता है। इतना ही नहीं इसमें प्रोटीन, ऑयरन, बीटा कैरोटीन, अमीनो एसिड, कैल्शियम, , मैग्नीशियम, विटीमिन ए, सी और बी काम्प्लेक्स अधिकता होने के कारण इसे कुपोषण को रोकने एवं इसके इलाज में प्रयोग किया जाता है।

स्वास्थ्य लाभ
सहजन मानव जीवन के लिए प्रकृति का वरदान है। प्राकृतिक रूप से इसमें मौजूद मैंग्नीशियम, शरीर में कैल्शियम को आसानी से पचाने में मदद करता है। इसमें पाया जाने वाला जिंक, खून की कमी पूरी करने में सहायक है। सहजन में ओलिक ऐसिड, जोकि एक प्रकार मोनो सैचुरेटेड फैट है, अधिक मात्रा में पाया जाता है जोकि शरीर के लिए अति आवश्यक है। सहजन में अधिक मात्रा में कैल्शियम होने के कारण यह हड्डियों को मजबूती देने में सहायक है। इसमें पाया जाने वाला विटामिन सी, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों से लड़ने की शक्ति डेटा है।

बहुउपयोगी पौधा है मोरिंगा
मोरिंगा एक बहुउपयोगी पौधा है। इसका फूल, फल और पत्तियों का भोजन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सहजन का छाल, पत्ती, बीज, गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवा तैयार किया जाता है, जो लगभग 300 से ज़्यादा बीमारियों के इलाज में काम आता है। सहजन के पौधा से गूदा निकालकर कपड़ा और कागज उद्योग के काम में इस्तेमाल किया जाता है। सहजन बिना किसी विशेष देखभाल और एक तरह से कम से कम लागत पर आमदनी देनी वाली फसल है।

22 एकड़ मोरिंगा की खेती से 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई
महाराष्ट्र में सोलापुर के युवा किसान जनक जयवंत वाघमोडे के पास 42 एकड़ जमीन है, जिसमें उन्होंने 22 एकड़ मोरिंगा की खेती की है। इसे बेचकर उन्होंने 1 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाएं हैं। न्यूज़ पोटली बात चीत में उन्होंने इसकी खेती से लेकर बाज़ार और मुनाफ़े तक पर विस्तार से बात की है। उन्होंने बताया है कि वो कैसे उन्होंने रासायनिक खादों की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनकी लागत भी कम आती है। उन्होंने इसपर भी बात की है की आरओ-फ़िल्टर किया हुआ पानी कैसे मोरिंगा की गुणवत्ता में सुधार करता है? जनक जयवंत ने बताया है कि उन्होंने मोरिंगा का एक सफल बिज़नेस मॉडल कैसे बनाया?

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Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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