मध्य प्रदेश में सोयाबीन के बाद उड़द की किसान ने जोती फसल, मंदसौर में 6 बीघा उड़द पर चलाया रोटावेटर

मंदसौर, मध्य प्रदेश से अशोक परमार की रिपोर्ट

मंदसौर(मध्य प्रदेश)। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ क्षेत्र में किसान फसलों के वाजिब दाम नही मिलने से काफी परेशान हैं। ऊपर से उड़द की फसल में अफलन और इल्लियों व पिलामोजेक के प्रकोप के कारण किसान परेशान होकर अपनी खड़ी फसल को नष्ट करने को मजबूर हो गये हैं।

मल्हारगढ़ विधानसभा के गांव बालागुड़ा में किसान पवन पाटीदार ने अफलन व उपज के वाजिब भाव नही मिलने के कारण उड़द की फसल पर रोटावेटर चला कर नष्ट कर दी। पवन पाटीदार ने बताया कि मैने सबसे मंहगा उड़द का बीज निर्मल 7 बोया था, जिसपर लगभग 60 हजार रुपये खर्चा आया लेकिन अफलन और इल्लियों के प्रकोप के कारण मुझे इसपर रोटावेटर चलाना पड़ा है। किसान ने कहा कि सरकार को तत्काल रूप से सर्वे करवाया जाए ताकि बीमा मुआवजा किसानों को मिल सके। किसान ने बताया कि फसल चक्र को बदलने पर सोयाबीन की जगह उड़द की फसल बोई गई थी लेकिन इल्लियों, अफलन, पिलामोजेक की वहज से फसल खराब हो गई इस वजह से हमें फ़सल नष्ट करती पड़ी।


आपको बता दें कि पिछले दिनों मंदसौर जिले में किसानों द्वारा सोयाबीन की फसल को नष्ट करने के कई मामले सामने आए। जैसे की गरोठ क्षेत्र के एक किसान ने अपने खेत मे खड़ी फसल पर रोटावेटर चला कर 12 बीघा की सोयाबीन को नष्ट कर दिया। वहीं दलौदा क्षेत्र के 10 बीघा में खड़ी सोयाबीन की फसल में से 5 बीघा की सोयाबीन पर टेक्टर चला कर नष्ट कर दिया था। इन सभी किसानों का कहना है कि फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। सोयाबीन के बीज की कीमत भी नही निकल रही है।


अभी तक कुछ नहीं बोले कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान 



इस मुद्दे पर देश के कई विधायक ने किसानों की आवाज को उठाया है, लेकिन कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अभी तक इसपर कोई बात नहीं की है। सरकार तक अपनी बात पहुँचाने के लिए किसानों के कई संगठन 1 सितंबर से 7 सितंबर तक प्रत्येक गांव में मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री के नाम ज्ञापन देंगे। फिर भी किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं मिला तो आंदोलन की ओर रूख करेंगे।

कांग्रेस नेता ने क्या कहा?

कांग्रेस नेता अनिल शर्मा ने कहा कि भाजपा की मोदी सरकार जो कि अम्बानी अडानी की सरकार है किसानों की नही। मोदी जी 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात करते थे लेकिन आज किसानों को उपज का लागत मूल्य भी नही मिल रहा है। सोयाबीन के भाव किसानों को नही मिल पा रहे है। किसान लगातार मांग कर रहा है कि सोयाबीन का समर्थन मूल्य 8 हजार रुपये क्विंटल होना चाहिए। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की यादव सरकार किसानों का खून चूसने का काम कर रही है।
भाजपा सरकार में आज सबसे ज्यादा दुखी एवं परेशान किसान है ।भाजपा सरकार को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को जस की तस तत्काल लागू करना चाहिए। किसान अपनी जायज मांगो को लेकर शांति प्रिय आंदोलन करता है तो उसे बंदूक व लाठी के बल पर रोका जाता है। किसानों को अपनी उपज का मूल्य निर्धारण करने का अधिकार मिलना चाहिए। मोदी सरकार पूँजीपतियों की सरकार है महंगाई चरम पर है और उपज औने-पौने दामों में बिक रही है। प्राकृतिक आपदा की मार भी किसान को झेलना पड़ती है।

ये देखें –

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *