एक पौधे को अच्छे से ग्रोथ करने के लिए कार्बन नाइट्रोजन, पोटशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीज, सल्फर, बोरान जैसे 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है। पारम्परिक तरीके से खाद देने पर पोषक तत्वों का सिर्फ 40 से 50 प्रतिशत ही पौधे को मिल पाता है वहीं जल विलेय उर्वरक देने पर इसका लाभ प्रतिशत 90 तक पहुंच जाता है।
किसी भी फसल के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है रोग प्रबंधन, सही समय पर सिंचाई और खाद। एक पौधे को अच्छे से ग्रोथ करने के लिए कार्बन, आक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, पोटशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीज, सल्फर, बोरान जैसे 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इन सभी तत्वों को पौधे को मुहइया कराने के लिए किसान रासायनिक और जैविक उर्वरकों को सहारा लेते हैं। पर क्या आपको पता है कि पारम्परिक तरीके से खाद देने पर पोषक तत्वों का सिर्फ 40 से 50 प्रतिशत ही पौधे को मिल पाता है, वहीं पानी में घुलनशील उर्वरक देने से उर्वरक का 80 से 90 प्रतिशत पौधे को मिलता है। पानी और खाद के ऐसी ही सिस्टम को हम समझेगें इस वीडियो में। आज न्यूज पोटली आपकों जानकारी देने जा रहा है इरीगेशन और फर्टिलाइजर को जोड़कर बनाए गए शब्द फर्टिगेशन की।
क्या है फर्टिगेशन
फर्टिगेशन सिस्टम में पानी में घुलने वाले उर्वरकों या तरल उर्वरक का घोल तैयार करके सिंचाई के पानी के साथ छोड़ा जाता है। जिससे फसल को जरूरी पोषक तत्व को डायरेक्ट दिया जा सके, फर्टिगेशन की ये व्यवस्था अभी तक ड्रिप सिंचाई साधन के साथ कारगर है। इस प्रकार से दिए गए उर्वरक की उपयोग दक्षता भी 80 से 90 फीसदी तक बढ़ जाती है। फर्टिगेशन से पोषक तत्वों की उपलब्धता परम्परागत तरीके से ज्यादा होती है इसीलिए फसल की पैदावार में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है।
फर्टिगेशन के लिए जरूरी इक्विपमेंट
व्हेन्चुरी– मैन पाइप में लगा एक इक्विपमेंट जो उर्वरक के घोल को कंटेनर से खींचकर सिंचाई के पानी में इन्जेक्ट करता है। फर्टिगेशन के लिए ये सबसे सस्ता सिस्टम होता है। मैन पाइप के पानी को डायवर्ट करके सकरे रास्ते से भेजा जाता है ऐसा होते ही प्रेशर में कमी आने लगती और वैक्यूम बन जाता है। वैक्यूम बनते ही सक्शन पाइप दूसरे टैकं में रखे तरल उर्वरक का घोल खीचना शुरू कर देता। उर्वरक सिंचाई पानी के साथ घुल कर आगे बढ़ जाता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस सिस्टम से पानी और उर्वरक का डिस्ट्रीब्यूशन एक जैसा नहीं हो पाता है।
फर्टिलाइजर टैंक– जहां से पानी सिंचाई के लिए आगे बढ़ता है वहीं पर ये टैंक लगा होता है इसमें सिंचाई के पानी का कुछ हिस्सा अंदर जाता है और फर्टिलाइजर के घोल को थोड़ा और पतला करके वापस उसी सप्लाई पाईप में भेज देता है।
फर्टिलाइजर पम्प– यह सिस्टम पानी के बहाव के हिसाब से काम करता है यानि जितना पानी का बहाव होगा फर्टिलाइजर का इन्जेक्ट उसी अनुपात में होगा। जैसे ही पानी बंद होता है फर्टिलाइजर का इन्जेक्ट भी उसी वक्त रुक जाएगा। यह फर्टिगेशन के लिए सबसे सही सिस्टम माना जाता है। ये पंप सुनिश्चित करता है कि पानी के साथ कितनी मात्रा में घोल जाना चाहिए जिसे किसान अपने अनुसार घटा बढ़ा भी सकता है।
आइये जानते हैं फर्टिगेशन के लाभ क्या हैं–
ये व्यवस्था किसान और पर्यावरण दोनो के लिए लाभदायक है।
उर्वरक को दोहन नहीं होता है जितना फसल को चाहिए उतना ही मिलता है। इससे लगभग 25-30% तक उर्वरक बच जाएगा।
फसल की जड़ो का विकास जल्दी होगा और फसल स्वस्थ होगी।
फसल की लागत और लगने वाले समय में कमी आएगी।
फसल के उत्पादन में कम से कम 25 से 30 प्रतिशत तक की बढोत्तरी होगी।