महाराष्ट्र का ये युवा किसान अपने खेतों में प्रति एकड़ 1000 कुंटल से ज्यादा गन्ना पैदा करता ही है और यही तकनीकी दूसरे किसानों को सिखाता भी है। महाराष्ट्र और भारत के दूसरे राज्य ही नहीं, नेपाल तक के किसान उनसे ज्यादा गन्ना पैदा करने के लिए ट्रेनिंग लेने आते हैं।
सांगली: भारत में गन्ना एक प्रमुख नगदी फसल मानी जाती है। पूरे देश में करीब 5 करोड़ किसान परिवार गन्ने की खेती से जुड़े हैं। देश के ज्यादातर इलाकों में किसान 200 से लेकर 400 कुंटल प्रति एकड़ तक की पैदावार लेते हैं। लेकिन महाराष्ट्र और कुछ राज्यों के कुछ ही चुनिंदा किसान प्रति एकड़ 1000 कुंटल गन्ना पैदा करते हैं। अंकुश उनमें से एक हैं। वो पिछले 5-7 वर्षों से ऐसा कर रहे हैँ। अंकुश चोरमुले कहते हैं, गन्ने की खेती उनके डीएनए में है। उनका पूरा परिवार खेती में जुटता है। वो कहते हैं, हर किसान अच्छी पैदावार ले सकता है बस उसे खेती की मिट्टी और उगाने की तकनीकी समझनी होगी।
अंकुश चोरमुले नए जमाने के किसान हैं। वो न सिर्फ समझबूझ कर खेती करते हैं बल्कि तकनीकी का भी खूब इस्तेमाल करते है। वो एक सीधा गन्ना बोने के बजाए पौध लगाते हैं। पौधे से पौधे की दूरी डेढ़ फीट और लाइन से लाइन की दूरी 5 फीट रखते हैँ। खेती और फसल का पूरा गणित उनके फोन पर रहता है। ये जो यंत्र आप खेत में देख रहे हैं ये वेदर स्टेशन है। ये बताता है कब बारिश होगी, किस फसल को पानी देना, कहां कीट लगने वाले हैं और कहां खाद देने की जररुत है।
चोरमुले कहते हैं, वैसे तो ये वेदर स्टेशन की कीमत 1 से सवा लाख रुपए है। जिस तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। कभी भी बारिश आ जाती है। सूखा पड़ जाता है ऐसे में ये पैसे लगाने से कम से कम फसल तो बच जाती है।
देश भर में अब असमय बारिश और जलभराव से किसानों का हर साल लाखों रुपए का नुकसान होता है। कई बार उनकी पूरी फसल पानी में सड़ चुकी है। इसलिए डॉ.अंकुश ने खेत में मिट्टी के नीचे जालीदार पाइप डलवाए हैं, जो एक कुएं के जरिए मोटर से जुड़े है। ये इन छेदावाले यानि परफोरेटेड पाइपों से अतिरिक्त पानी जल्द बाहर निकल जाता है। ये तकनीकी गन्ने के साथ हर फसल में लाभकारी है।
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चोरमुले बताते हैं “इस सिस्टम को लगाने में 1 लाख प्रति एकड़ का खर्चा आया है हमारे यहां पानी भर जाता हैं पर इस सिस्टम से मेरी फसल बच जाती है। 20-25 तक की इसकी लाइफ होती है तो पूरी लागत तो वसूल हो जाती है।”
अंकुश चोरमुले, पुणे से करीब 200 किलोमीटर और दिल्ली से करीब 1700 किलोमीटर सांगली जिले के आष्टा गांव में रहते हैं। सांगली देश के प्रसिद्ध गन्ना इलाकों में से एक है। अंकुश यहीं पर अपने साथी किसानों, आमोल राजन पाटिल आदि के साथ मिलकर गन्ने की खेती के साथ उससे जुड़ा बिजनेस भी करते हैं। पहला काम तो उन्होंने गन्ना मास्टर नाम से अपनी कंपनी बनाकर किसानों को खेती में उपयोग होने वाली दवाएं, खाद, और तकनीक देते हैं। और दूसरा उन्होंने गन्ने की नर्सरी तैयार करने का काम शुरु किया है। उन्होंने पहले ही साल में देश के अलग-अलग राज्यों में डेढ़ करोड़ पौधे सप्लाई की थी।
चोरमुले के मुताबिक देश के अलग-अलग हिस्सों से उनके यहां 20 से 25 किसान रोज आते हैं। साल में ये आंकड़ा 10-15 हजार तक पहुंच जाता है। वो कहते हैं, खेती सिर्फ करने से नहीं होगी। खेती तभी फायदा देगी अब आप उसका इकनॉमिक्स ध्यान में रखेंगे और पैदावार लेने पर फोकस करेंगे। खेती को बिजनेस की तरह देखिए।