बिहार के उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने राज्य के किसानों से गेहूं की कटाई के बाद फसल अवशेष को ना जलाने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि राज्य के कई ज़िलों में गेहूं की कटाई शुरू हो चुकी है, ऐसे में किसान गेहूं के फसल अवशेष को जलाने के बजाए उसका उचित प्रबंधन करें. उन्होंने बताया है जलाने से खेत की मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है, जिससे मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु मर जाते हैं. इससे मिट्टी का स्वास्थ्य ख़राब होता है, जिसका बुरा असर फसल के उत्पादन पर पड़ता है.
उन्होंने किसानों को चेतवानी देते हुए कहा कि फसल अवशेष जलाने वाले किसानों को अभी डीबीटी (DBT) के माध्यम से अलग-अलग योजनाओं के तहत मिलने वाले अनुदान से वंचित किया जा रहा है. अब उन्हें गेहूं की खरीद के फायदे से भी वंचित किया जाएगा. बार-बार फसल अवशेष जलाने वाले किसानों पर कानूनी कार्रवाई भी होगी.
ये भी पढ़ें – बजट से पहले दिल्ली सीएम ने किसानों से बात की , कहा पिछले 15-20 वर्षों में, गांवों के लिए कोई काम नहीं किया गया
अधिकारियों को दिया निर्देश
जिन क्षेत्रों में फसल अवशेष जलाने की शिकायतें थीं, वहां के किसान सलाहकारों और कृषि समन्वयकों को निर्देश दिया गया है कि वह गांवों में जाकर किसानों को जागरूक करें. सभी जिला पदाधिकारियों को लगातार निगरानी रखने का निर्देश है. सभी कृषि महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के विज्ञानियों को भी इस संबंध में किसानों को प्रशिक्षित करने और इसके कुप्रभाव के बारे में जानकारी देने को कहा गया है.
उन्होंने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के राज्य सरकार किसानों को सब्सिडी पर कृषि यांत्र दे रही है. किसान इस योजना का लाभ लें और उचित प्रबंधन करें. योजना के तहत हैप्पी सीडर, रोटरी मल्चर, स्ट्रॉ बेलर, सुपर सीडर, स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, रोटली सलेशर, जीरो टिलेज/सीड-कम-फर्टिलाइजर, पैडी स्टाचौपर आदि यंत्रों पर 75 से 80 फीसदी तक अनुदान दिया जा रहा है.
ये देखें –