कम उत्पादकता वाले और बहुत कम KCC किसान लोन वाले जिलों का प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना के अंतर्गत किया जाएगा चयन

प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना

पीएम धन-धान्य योजना के तहत जिलों के चयन की प्रक्रिया पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि खाद्यान्न में हमारा उत्पादन 40 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़ा है फलों, दूध, सब्जियों में भी उत्पादन ऐतिहासिक रूप से बढ़ा है लेकिन फिर भी एक राज्य की उत्पादकता और दूसरे राज्य की उत्पादकता में काफी अन्तर है। राज्यों में भी एक ज़िले की दूसरे ज़िले से उत्पादकता कम है, इसलिए जिन ज़िलों में उत्पादकता कम है या केसीसी पर किसान लोन बहुत कम लेते हैं, ऐसे ज़िलों को हम चिन्हित करेंगे।

16 जुलाई को “प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना” को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दी। इसपर मीडिया से बात करते हुए मंत्री ने कहा कि कम उत्पादकता वाले लगभग 100 ज़िलों को चिन्हित करेंगे। इन ज़िलों में 11 विभागों की योजनाओं को कन्वर्जन के माध्यम से पूरी तरह से लागू करने का प्रयत्न करेंगे। उन्होंने कहा कि न केवल केंद्र सरकार की योजनाओं बल्कि राज्य सरकार की योजनाओं को भी कन्वर्जन करके पूरी तरह से लागू करेंगे।

इसी जुलाई से काम शुरू हो जाएगा
चौहान ने बताया कि हर राज्य का कम से कम एक ज़िला इसमें ज़रूर होगा। इसकी तैयार शुरू हो गई है। प्रत्येक ज़िले के लिए एक नोडल अफसर होगा। इसी जुलाई के महीने में यह तय कर लिया जायेगा कि कौन से ज़िले व नोडल अफसर इसमें होंगे। अगस्त में प्रशिक्षण शुरू हो जायेगा। इसके लिए जागरूकता भी बढ़ानी पड़ेगी।

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नीति आयोग मॉनिटरिंग के लिए डैशबोर्ड बनायेगा
उन्होंने कहा कि नीति आयोग को कुछ मापदंडों के आधार पर ज़िलों की प्रगति दिखानी होगी। नीति आयोग मॉनिटरिंग के लिए डैशबोर्ड बनायेगा। इस अभियान को अक्टूबर के रबी सीजन से शुरू कर देंगे। इस अभियान के लिए एक जिला स्तर की समिति बनेगी। जिसे ग्राम पंचायत या ज़िला क्लेक्टर द्वारा चलाया जायेगा। उनके साथ ही विभागों के अधिकारी, प्रगतिशील किसान आदि की भी टीम बनेगी जो फैसले करेगी। केवल जिले में ही नहीं राज्य में भी टीम बनेगी। राज्य की टीम की जिम्मेदारी होगी कि ज़िले में योजनाओं का सही से कर्न्वजेंस हो। केंद्रीय स्तर पर दो टीम बनेंगी, एक केंद्रीय मंत्रियों की और एक सचिव की अध्यक्षता में अन्य विभागों के अधिकारियों की टीम बनेगी। इसमें विविधता के स्तर पर काम करेंगे।

अंत में उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर हमारी कोशिश यही रहेगी कि जिन ज़िलों में उत्पादकता कम है उनमें केवल नेशनल एवरेज नहीं बल्कि सर्वोच्च उत्पादकता कैसे बढ़े और फसलों के साथ – साथ फल, मछली उत्पादन, मधुमक्खी पालन, पशु पालन, कृषि वानिकी आदि सभी को भी ध्यान में रखा जायेगा। श्री चौहान ने कहा कि यह एक बड़ा अभियान है। 

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Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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