सरकार से आटा, सूजी और मैदा के निर्यात पर लगी रोक हटाने की मांग की गई है। देश में गेहूं का उत्पादन और भंडार दोनों ही ज्यादा हैं, इसलिए फ्लोर मिलर्स 1 मिलियन टन निर्यात की अनुमति चाहते हैं। प्रस्ताव वाणिज्य मंत्रालय को भेज दिया गया है। निर्यात खुलने से भारतीय ब्रांड फिर से विदेशी बाजारों में पकड़ बना सकेंगे।
भारत में आटा, सूजी और मैदा के निर्यात पर 2022 से लगी रोक हटाने की दिशा में अब कदम बढ़ते दिख रहे हैं। फ्लोर मिलर्स ने मांग की है कि इन गेहूं उत्पादों के निर्यात की अनुमति दी जाए, और इसकी शुरुआत कम से कम 1 मिलियन टन (1 MT) के निर्यात कोटा से की जाए। खाद्य मंत्रालय ने 12 नवंबर को वाणिज्य मंत्रालय और DGFT को इस मांग पर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए भेजा है।
क्यों उठी निर्यात की मांग?
देश में इस समय गेहूं का पर्याप्त भंडार मौजूद है। 2024–25 में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 117.54 मिलियन टन रहा, और अगले सीजन के लिए सरकार ने 119 मिलियन टन का लक्ष्य रखा है। बुवाई भी तेज चल रही है—7 नवंबर तक 22.72 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया जा चुका है, जो पिछले साल से दोगुने से भी ज्यादा है।
सरकार ने इस बार 30 मिलियन टन गेहूं खरीदा, जो चार साल में सबसे ज्यादा है। 2022 से निर्यात बैन के कारण घरेलू बाजार में कीमतें भी काफी हद तक नियंत्रण में रहीं। अभी खुदरा बाजार में गेहूं का औसत दाम ₹31.7/किलो और आटे का ₹37/किलो है।
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क्यों जरूरी है निर्यात की अनुमति?
फ्लोर मिलर्स का कहना है कि देश में गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता है और उत्पादन अनुमान भी मजबूत है, इसलिए अब गेहूं उत्पादों का निर्यात शुरू किया जा सकता है। इससे मिलों को अतिरिक्त मांग मिलेगी और निर्यात कारोबार को दोबारा गति मिल सकेगी।
उद्योग के अनुसार, 2022 में भारत ने निर्यात रोका तो मध्य पूर्व में कई नई मिलें खुल गईं जो 4 करोड़ से ज्यादा भारतीय प्रवासी समुदाय की जरूरतें पूरी कर रही हैं। अगर भारत निर्यात फिर शुरू करता है, तो कई भारतीय ब्रांड फिर से विदेशों में अपनी सप्लाई शुरू कर पाएंगे।उद्योग जानकारों का कहना है कि अगर अभी 1 मिलियन टन की अनुमति मिलती है, तो चालू वित्त वर्ष में 0.4–0.5 मिलियन टन निर्यात किया जा सकता है।
आगे क्या?
अब फैसला DGFT और वाणिज्य मंत्रालय के हाथ में है। पर्याप्त उत्पादन और स्थिर कीमतों को देखते हुए सरकार पर निर्यात आंशिक रूप से खोलने का दबाव बढ़ गया है। यदि ऐसा होता है, तो गेहूं उत्पाद उद्योग को बड़ा फायदा मिल सकता है और भारत के ब्रांड फिर से वैश्विक बाजार में अपनी पहचान मजबूत कर पाएंगे।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।