सरकार शक्कर उद्योग की मांग पर शक्कर MSP बढ़ाने पर विचार कर रही है, क्योंकि लागत अब 40 रुपये/किलो तक पहुँच गई है। मिलें एथेनॉल कीमत बढ़ाने की भी मांग कर रही हैं, क्योंकि मौजूदा दरों पर नुकसान हो रहा है। सरकार पहले 15 लाख टन निर्यात के असर को देखकर MSP पर फैसला करेगी।
केंद्र सरकार शक्कर उद्योग की उस मांग पर विचार कर रही है जिसमें वे शक्कर का न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) बढ़ाने की बात कर रहे हैं। यह दाम पिछले छह साल से नहीं बदला है और आखिरी बार फरवरी 2019 में 31 रुपये प्रति किलो तय किया गया था। हाल ही में सरकार ने नए सीजन (2025-26) के लिए 15 लाख टन शक्कर के निर्यात की मंजूरी दी है, जिसके बाद MSP बढ़ाने पर भी चर्चा तेज हो गई है।
एथेनॉल के दाम बढ़ाने की भी मांग
इसी तरह, उद्योग की दूसरी मांग एथेनॉल के दाम बढ़ाने की भी है, खासकर तब जब एथेनॉल गन्ने के रस, बी-हेवी या सी-हेवी शीरा (molasses) से बनाया जाता है। फिलहाल तेल कंपनियाँ एथेनॉल के लिए 57.97 से 65.61 रुपये प्रति लीटर तक देती हैं। वहीं, मक्का से बनने वाले एथेनॉल की कीमत सबसे ज्यादा 71.86 रुपये प्रति लीटर है। गन्ना रस से एथेनॉल बनाना मिलों के लिए घाटे का सौदा पड़ रहा है, क्योंकि एक टन गन्ने से लगभग 70 लीटर एथेनॉल मिलता है जबकि गन्ना खरीदने की कीमत बहुत ज्यादा है।
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ISMA और NFCSF का सुझाव
इसी वजह से निजी शक्कर मिल संगठन ISMA और सहकारी मिल संगठन NFCSF दोनों ही शक्कर MSP बढ़ाने और एथेनॉल मूल्य में सुधार की मांग कर रहे हैं। ISMA ने MSP को 40 रुपये प्रति किलो करने का सुझाव दिया है, जबकि NFCSF चाहता है कि MSP कम से कम देश भर की वर्तमान एक्स-मिल कीमत के बराबर हो।
MSP बढ़ाना क्यों जरूरी?
उद्योग का कहना है कि गन्ने के दाम (FRP) में पिछले सालों में 29% की बढ़ोतरी हुई है, इसलिए शक्कर उत्पादन लागत अब लगभग 40 रुपये प्रति किलो तक पहुँच गई है। इसलिए MSP बढ़ाना जरूरी है। ISMA ने इस बार की कुल शक्कर उत्पादन का अनुमान 343.5 लाख टन लगाया है, जबकि NFCSF का अनुमान 350 लाख टन है। पिछली बार उत्पादन लगभग 296 लाख टन रहा था।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।