देश में मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) ने ‘एथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि’ नामक प्रोजेक्ट शुरू किया है. IIMR के निदेशक डॉ. हनुमान सहाय जाट के अनुसार इस प्रोजेक्ट के तहत अच्छी किस्मों के मक्के की बुवाई करवाई जा रही है. इस प्रोजेक्ट के तहत किसानों को मक्के की खेती के फायदे बताए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि साल 2025-2026 तक पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल करना है तो मक्का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत होगी. इसके लिए पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध करावाने होंगे. साथ ही वैज्ञानिक तौर-तरीके से खेती करवानी होगी.
दुनिया में मक्का उत्पादन का लगभग 80% हिस्सा फीड, स्टार्च और जैव ईंधन उद्योगों में इस्तेमाल होता है. हालांकि, भारत में दुनिया का सिर्फ 2% ही मक्का पैदा होता है. भारत में मक्का के उत्पादन का लगभग 47%, पोल्ट्री फीड के रूप में उपयोग किया जाता है। बाकी उपज में से, 13% का उपयोग पशुधन फ़ीड और भोजन के उद्देश्य के रूप में किया जाता है, 12% औद्योगिक उद्देश्यों के लिए, 14% स्टार्च उद्योग में, 7% प्रसंस्कृत भोजन और 6% निर्यात और अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।
हाइब्रिड किस्मों पर जोर
‘एथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि’ नामक प्रोजेक्ट से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसएल जाट का कहना है कि मक्के का उत्पादन बढ़ाना है तो न सिर्फ मक्के की खेती का एरिया बढ़ाना होगा बल्कि अच्छी किस्मों के बीजों की भी बहुत जरूरत होगी. इसके लिए हाइब्रिड किस्मों पर जोर दिया जा रहा है. हाइब्रिड तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल करके हम मक्का उत्पादन बढ़ा सकते हैं. खरपतवार और बीमारियों के मैनेजमेंट पर काम करना होगा. तब जाकर अच्छा उत्पादन और सही कीमत मिलेगी. उन्होंने किसानों को सलाह दी कि बुवाई से पहले बीज उपचार जरूर करें.
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भारत में लगभग 75 फीसदी मक्का की खेती खरीफ सीजन में
भारत में मक्का खरीफ, रबी और वसंत तीनों ऋतुओं में उगाया जा सकता है. लेकिन भारत में लगभग 75 फीसदी मक्का की खेती खरीफ मौसम में होती है. खेत की तैयारी जून के पहले सप्ताह में शुरू कर देनी चाहिए. खरीफ की फसल के लिए एक गहरी जुताई (15-20 सेमी) मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए. अगर खेत गर्मियों में खाली हैं तो जुताई गर्मियों में करना अधिक लाभदायक रहता है. इस जुताई से खरपतवार, कीट पतंगें व बीमारियों की रोकथाम में काफी सहायता मिलती है. खेत की नमी को बनाए रखने के लिए कम से कम समय में जुताई करके तुरंत पाटा लगाना लाभदायक रहता है. जुताई का मुख्य मकसद मिट्टी को भुरभुरी बनाना है. अगर किसान नई जुताई तकनीक जैसे शून्य जुताई का उपयोग न कर रहे हों तो कल्टीवेटर एवं डिस्क हैरो से लगातार जुताई करके खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लें.
मक्का का राष्ट्रीय खाद्यान्न में लगभग 9% का योगदान
आपको बता दें कि भारत विश्व में मक्का का 5वाँ सबसे बड़ा उत्पादक (दिसंबर 2023 तक) देश है। देश में मक्का तीसरी सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है, जो राष्ट्रीय खाद्यान्न में लगभग 9% का योगदान देती है और कृषि सकल घरेलू उत्पाद में 100 बिलियन रुपए से अधिक का योगदान देती है। कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश मक्का उत्पादन में प्रमुख राज्य हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत ने वर्ष 2023-24 में 34.6 मिलियन टन (mt) मक्का का उत्पादन किया, जिसकी आपूर्ति-मांग के अंतर को कम करने के लिये उत्पादन को दोगुना करने की योजना है.
मक्के की एमएसपी 2,225 रुपये प्रति क्विंटल
मक्के से एथेनॉल बनाने वाली डिस्टिलरियों को 431 करोड़ लीटर एथेनॉल की सप्लाई के लिए ऑर्डर मिले हैं, जिसके लिए 110 लाख टन से ज्यादा मक्के की जरूरत होगी. जबकि, चालू सीजन के दौरान 306 करोड़ लीटर की सप्लाई के लिए 80 लाख टन मक्के की जरूरत होगी. चूंकि टूटे हुए चावल की उपलब्धता पर्याप्त नहीं है और साथ ही इसकी कीमतें भी उतनी कम नहीं हैं, इसलिए ज्यादातर डिस्टिलर मक्के को तरजीह दे रहे हैं. एथेनॉल में मक्के के डायवर्जन की वजह से पोल्ट्री फीड बनाने वाली कंपनियों को पर किसानों को अच्छा दाम देने का दबाव बढ़ गया है. इस समय मक्के की एमएसपी 2,225 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि बाजार में इसका दाम 2300 से 2500 रुपये के बीच चल रहा है. इथेनॉल के लिए मांग बढ़ेगी तो किसानों को और फायदा मिल सकता है.
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