इस साल सोयाबीन की पैदावार घटकर 105.36 लाख टन रहने का अनुमान है। मुख्य कारण कम रकबा, खराब मौसम और यलो मोज़ैक वायरस है। मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए “प्राइस डिफरेंस पेमेंट स्कीम” शुरू की है। सरकार ने सोयाबीन का MSP ₹5,328 प्रति क्विंटल तय किया है। देश को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है।
किसानों में ‘पीला सोना’ के नाम से मशहूर सोयाबीन की पैदावार इस साल करीब 20.5 लाख टन कम होकर 105.36 लाख टन रहने का अनुमान है। इसका मुख्य कारण कम रकबा , खराब मौसम और पैदावार में गिरावट को बताया जा रहा है।
किसानों की फसल को भारी नुकसान
- इस साल सोयाबीन 114.56 लाख हेक्टेयर में बोई गई, जबकि पिछले साल यह 118.32 लाख हेक्टेयर थी।
- औसत पैदावार इस बार 920 किलो प्रति हेक्टेयर रही, जबकि पिछले साल 1,063 किलो प्रति हेक्टेयर थी।
- राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारी बारिश और यलो मोज़ाइक वायरस के कारण फसल को काफी नुकसान हुआ।
मध्य प्रदेश सरकार का कदम
मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए “प्राइस डिफरेंस पेमेंट स्कीम” शुरू की है। इसमें अगर मंडी में सोयाबीन का दाम केंद्र द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम मिलता है, तो सरकार अंतर का भुगतान करेगी।
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देश में तेल की जरूरत और समाधान
भारत अपनी कुल खाद्य तेल की जरूरत का 60% से ज्यादा आयात करता है, जो हर साल लगभग ₹1.7 लाख करोड़ की विदेशी मुद्रा खर्च होती है। सरकार और उद्योग संगठन चाहते हैं कि बेहतर बीज और खेती तकनीक के जरिए सोयाबीन उत्पादन बढ़ाया जाए, ताकि देश खुद अपने खाद्य तेल की जरूरत पूरी कर सके।
MSP में बढ़ोतरी
सरकार ने 2025-26 के खरीफ सीजन के लिए सोयाबीन का MSP ₹5,328 प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले साल के ₹4,892 से ₹436 ज्यादा है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।