पूसा ने कृषि कार्य को लेकर किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इस मौसम में तैयार गेहूं की फसल की कटाई की सलाह दी गई है। किसान कटी हुई फसलों को बांधकर तथा ढककर रखे अन्यथा तेज हवा या आंधी से फसल एक खेत से दूसरे खेत में जा सकती है। रबी फसल यदि कट चुकी है तो उसमें हरी खाद के लिए खेत में पलेवा करें। हरी खाद के लिए ढैंचा, सनई अथवा लोबिया की बुवाई की जा सकती है। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
पूसा संस्थान के वैज्ञानिकों की साप्ताहिक एडवाइजरी में किसानों को हरी खाद के लिए ढैंचा, सनई अथवा लोबिया की बुवाई करने की सलाह दी गई है। फ्रेंच बीन (पूसा पार्वती, कोंटेनडर), सब्जी लोबिया (पूसा कोमल, पूसा सुकोमल), चौलाई (पूसा किरण, पूसा लाल चौलाई), भिंडी (ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि), लौकी (पूसा नवीन, पूसा संदेश), खीरा (पूसा उदय), तुरई (पूसा स्नेह) आदि तथा गर्मी के मौसम वाली मूली (पूसा चेतकी) की सीधी बुवाई के लिए भी यह मौसम अनुकूल है।
एडवाइज़री में कहा गया है कि अनाज को भंडारण में रखने से पहले भंडारघर की सफाई करें तथा अनाज को सुखा लें। दानों में नमी 12 प्रतिशत से ज्यादा नही होनी चाहिए। भंडारघर को अच्छे से साफ कर लें। छत या दीवारों पर यदि दरारें है तो इन्हे भरकर ठीक कर लें। बोरियों को 5 प्रतिशत नीम तेल के घोल से उपचारित करें। बोरियों को धूप में सुखाकर रखें। जिससे कीटों के अंडे तथा लार्वा तथा अन्य बीमारियां नष्ट हो जाएं। पूसा संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि कटी हुई फसलों तथा अनाजों को सुरक्षित स्थान पर रखें।
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बढ़ते तापमान को देखते हुए हल्की सिंचाई करें
इस सप्ताह तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए किसानों को वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि वो खड़ी फसलों तथा सब्जियों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें। सिंचाई सुबह या सायं के समय करें जब हवा की गति कम हो। अधिक तापमान से टमाटर, मिर्च एवं बैंगन की फसलों को बचाने के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि 2% Nephthalene acetic acid (NAA) का घोल खड़ी फसलों फर छिडकाव करें, ताकि फलों का विकास अवरुद्ध न हो।
मूंग की उन्नत किस्मों की बुवाई
मूंग की फसल की बुवाई हेतु किसान उन्नत बीजों की बुवाई करें। मूंग-पूसा विशाल, पूसा रत्ना, पूसा- 5931, पूसा बैसाखी, पी.डी एम-11, एस एम एल- 32, एस एम एल- 668, सम्राट की बुवाई कर सकते हैं। बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
फलछेदक कीट से बचाव
टमाटर, मटर, बैंगन फसलों में फलों को फलछेदक कीट से बचाव हेतु किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाएं। कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें। साथ ही, फलछेदक कीट की निगरानी हेतु 2-3 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ की दर से लगाएं। यदि कीटों की संख्या अधिक हो तो बी.टी. 1.0 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। फिर भी प्रकोप अधिक हो तो 15 दिन बाद स्पिनोसैड कीटनाशी 48 ई.सी. 1 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव सुबह या सायं के समय करें।
प्याज की फसल में थ्रिप्स के प्रकोप पर रखें नज़र
इस मौसम में समय से बोयी गई बीज वाली प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। बीज फसल में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें। रोग के लक्षण अधिक पाये जाने पर आवश्यकतानुसार डाईथेन एम-45 की 2 ग्रा. मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से किसी चिपचिपा पदार्थ (स्टीकाल, टीपाल आदि) के साथ मिलाकर छिड़काव सुबह या सायं के समय करें। प्याज की फसल में इस अवस्था में उर्वरक न दें अन्यथा फसल की वनस्पति भाग की अधिक वृद्धि होगी और प्याज की गांठ की कम वृद्धि होगी।
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