कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, अक्टूबर महीने में किसान ठंड के मौसम में अच्छी उत्पादन देने वाली सब्जियों की खेती कर अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। इस दौरान प्याज, फूलगोभी, ब्रोकोली, मटर और पालक की खेती कर अच्छी कमाई की जा सकती है।
बाजार में सब्ज़ी की मांग हमेशा बनी रहती है क्योंकि सब्ज़ी के बिना खाना अधूरा होता है। इसीलिए सब्जी की खेती किसानों को सबसे ज्यादा मुनाफा देती है। इसकी खेती किसानों के लिए और भी आसान होती है क्योंकि सब्जी का पौधा कम समय में ही तैयार हो जाता है। सबसे ज़रूरी बात यह है कि किसानों को सब्ज़ी की खेती में खर्च बहुत कम लगता है। किसान चाहें तो दूसरे फसलों के साथ सहफली खेती में भी सब्ज़ी उत्पादन कर अच्छी कमाई कर सकता है। ऐसे में लागत के मुकाबले फायदा ज्यादा होता है।
लेकिन इसके लिए ज़रूरी यह है कि किसानों को यह मालूम होना चाहिए कि किस मौसम में कौन सी सब्जी की खेती करें कि उपज ज्यादा हो और मार्केट में अच्छी कीमत भी मिल जाए। तो चलिए आज जानते हैं सर्दी के मौसम में कौन- कौन सी सब्जी की खेती करने पर ज्यादा फायदा होगा।
तो अगर आप भी अक्टूबर महीने में सब्जी की खेती करने की सोच रहे हैं तो आप इन साब्ज़ियों की खेती कर सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक इस दौरान आप प्याज, फूलगोभी, ब्रोकोली, ब्रोकोली, मटर, मूली, और पालक जैसी सब्ज़ियों की खेती कर अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।अक्टूबर महीने में सब्जी की बुवाई करने पर जनवरी से लेकर फरवरी तक कुछ हरी सब्जियां तैयार हो जाती हैं। ऐसे में मार्केट में अच्छा रेट मिल सकता है।
प्याज की खेती
प्याज की खेती के लिए अच्छी तरह से जल निकासी सुविधाएं और लाल दोमट व काली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। प्याज लगाने से पूर्व मिट्टी की जांच करा लेनी चाहिए। इसके लिए 6.5 से 7.5 पीएच मान वाली मिट्टी सही मानी जाती है।
ब्रोकली की खेती
ठंड के मौसम में ब्रोकली की खेती भी सही मानी जाती है। भारत में सितंबर के अंतिम हफ्ते से लेकर मार्च की शुरुआत तक ब्रोकली की खेती की जाती है। पहले ब्रोकली की नर्सरी तैयार की जाती है और फिर उसकी खेती में रोपाई की जाती है। इसकी नर्सरी ठीक उसी तरह तैयार की जाती है, जैसे फूल गोभी, पत्ता गोभी आदि की होती है। इसकी नर्सरी करीब 4-5 हफ्तों में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।
फूलगोभी की खेती
फूलगोभी की खेती सितंबर और अक्टूबर महीने में की जाती है। इसे सभी प्रकार की भूमि में किया जा सकता है, परन्तु अच्छी जल निकास वाली दोमट या बलुई दोमट भूमि जिसमें जीवांश की प्रचुर मात्रा उपलब्ध हो, काफी अच्छी मानी जाती है। इसकी खेती के लिए अच्छी तरह से खेत को तैयार करना चाहिए।
मटर की खेती
मटर बुवाई किसान पूरे अक्टूबर और कुछ हिस्सों में नवंबर के महीने में भी भी कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि खेत में नमी हो और बारिश की संभावना न हो। बुवाई करने के बाद अगर बारिश होती है तो मिट्टी सख्त हो जाती है और पौध निकलने में दिक्कत होती है। वहीं अगर खेत में पानी जमा हो गया तो बीज सड़ भी सकते हैं।
पालक की खेती
पालक जैसी पत्तेदार सब्जियों को उगाने का सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि यह कम समय में पककर तैयार हो जाती है। इसकी खेती के लिए सामान्य सर्द मौसम ही सबसे अच्छा रहता है। खासकर ठंड के मौसम में पालक के पत्तों की अच्छी उपज मिलती है। किसान चाहें तो बेहतर उत्पादन के लिए पालक की ऑलग्रीन, पूसा पालक, पूसा हरित और पूसा ज्योति क़िस्मों की खेती कर सकते हैं।इन क़िस्मों की उपज अच्छी होती है।
आलू, प्याज, बैंगन, जिमीकंद, शिमला मिर्च के उत्पादन में कमी की आशंका
पिछले महीने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा बागवानी फसलों से जुड़े आंकड़े जारी किए गए थे, जिसके मुताबिक़ 2023-24 के दौरान सब्जियों का उत्पादन लगभग 205.80 मिलियन टन होने की उम्मीद जताई गई है। टमाटर, पत्तागोभी, फूलगोभी, टैपिओका, लौकी, कद्दू, गाजर, ककड़ी, करेला, परवल और भिंडी के उत्पादन में इजाफा होगा। जबकि, आलू, प्याज, बैंगन, जिमीकंद, शिमला मिर्च तथा अन्य सब्जियों के उत्पादन में कमी की आशंका जताई गई है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान 2023-24 के अनुसार प्याज का उत्पादन 242.44 लाख टन होने की उम्मीद है। देश में आलू का उत्पादन 2023-24 में लगभग 570.49 लाख टन होने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण बिहार और पश्चिम बंगाल में उत्पादन में कमी दर्ज होना है।
वहीं टमाटर का उत्पादन 2023-24 में 213.20 लाख टन होने की उम्मीद है, जो पिछले साल लगभग 204.25 लाख टन था यानी उत्पादन में 4.38 फीसदी का इजाफा होने की संभावना जताई गई है।
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