सब्ज़ियाँ, जिसको हम और आप रोज़ खाते हैं और तीन चार बार खाते हैं। मतलब ये कि इसकी मांग हमेशा रहती है और रहेगी भी। तो फिर इसकी खेती से कमाई भी तो अच्छी होगी ही। क्योंकि इसका सप्लाई डिमांड का खेल हर रोज़ का है। इसीलिए अब किसान भी धान गेहूं की परंपरागत खेती छोड़ सब्ज़ियों की खेती में रुचि ले रहे हैं। इतना ही नहीं तकनीक के इस्तेमाल से सब्ज़ियों के खेती की जा रही है, जिससे कम पानी और कम मज़दूरी में ज़्यादा उत्पादन कर किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं। ऐसे ही हरियाणा के एक किसान हैं अंकुर जो सब्ज़ियों की सहारा विधि और मचान विधि से खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं।

अंकुर एक अलग तरीक़े से सब्ज़ियों की खेती करते हैं जिससे उत्पादन ज़्यादा होता है और कमाई भी अच्छी होती है। वो पिछले 6-7 सालों से सहारा विधि और मचान विधि से टमाटर, शिमला मिर्च, लौकी और करेले की खेती करते हैं। इसी की कमाई से उन्होंने 2 एकड़ जमीन भी खरीद ली है। उनका कहना है कि परंपरागत खेती के वजाए किसान को सब्ज़ियों की खेती करनी चाहिए, इसमें कमाई अच्छी है।
अंकुर सब्जियों की खेती समतल खेत में न करके बेड बनाकर करते हैं, उसके ऊपर मल्चिंग सीट और ड्रिप पाइप बिछाकर पौधों की रोपाई करते हैं।

पौधों की अच्छी ग्रोथ और बंपर पैदावार के लिए वो उन्नत सीड खरीदकर खुद उसकी हाईटेक प्लांट से नर्सरी तैयार करवाते हैं। टमाटर, शिमला मिर्च के अलावा वो लौकी और स्ट्राबेरी की भी खेती करते हैं। कम पानी में खेती के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री भी उनकी तारीफ चुके हैं।

अंकुर ने सब्जियों की खेती कर्ज में डूबे अपने पिता के लिए शुरु की थी, लेकिन 6 साल में ही उन्होंने खेती से इतना पैसा कमाया कि वो अब 2 एकड़ जमीन भी खरीद रहे हैं। अंकुर की कहानी देश के 84 फीसदी छोटे किसानों के लिए प्रेरणादायक है कि कैसे वो कम जमीन से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।