कपास किसानों को CCI ने भरोसा दिया है कि नई खरीफ सीजन में पूरा माल MSP पर खरीदा जाएगा। आयात शुल्क हटने और कीमतों में दबाव की आशंका के बीच कंपनी ने कहा कि किसानों को औने-पौने दाम पर बेचने की जरूरत नहीं है। MSP बढ़ा है और खरीदी इस बार पूरी तरह डिजिटल होगी।
कपास की कीमतों पर दबाव की आशंका के बीच सरकारी कंपनी कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने कहा है कि किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। नई खरीफ सीजन (अक्टूबर से शुरू) में कंपनी किसानों से उनका पूरा माल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदेगी। CCI के चेयरमैन और एमडी ललित कुमार गुप्ता ने कहा,
“हम पूरी तरह तैयार हैं। किसानों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि ज़रूरत पड़ने पर MSP पर खरीदी बढ़ाई जाएगी और किसी भी स्थिति में दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।”
30 सितंबर तक आयात शुल्क जीरो
आपको बता दें कि सरकार ने हाल ही में उद्योग की मांग पर 30 सितंबर तक कपास आयात पर लगने वाला शुल्क हटा दिया है। इससे कपड़ा उद्योग को सस्ता कपास मिलेगा और निर्यातक ज्यादा प्रतिस्पर्धी बन पाएंगे। लेकिन किसानों को डर है कि आयात सस्ता होने से उनकी आमदनी कम हो सकती है, क्योंकि फिलहाल भारत में कपास की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से 10–12% ज्यादा हैं।
CCI ने एक-तिहाई कपास MSP पर खरीदी थी
बिज़नेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सीजन में CCI ने करीब एक-तिहाई कपास MSP पर खरीदी थी, क्योंकि बाजार भाव MSP से नीचे था। अभी भी कंपनी के पास 27 लाख गांठ (bales) का स्टॉक है, जिसे नए सीजन से पहले बेचने की योजना है। शुल्क हटने के बाद CCI ने अपने कपास की बिक्री कीमत में ₹1,100 प्रति कैंडी (356 किलो) की कमी की है। आगे भी कीमतें बाज़ार के हिसाब से बदली जाएंगी।
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कपास की MSP में 8% की बढ़ोतरी
आपको बता दें कि सरकार ने 2025-26 सीजन के लिए MSP में 8% की बढ़ोतरी की है, मीडियम स्टेपल कपास की एमएसपी ₹7,110 प्रति क्विंटल और लॉन्ग स्टेपल कपास की एमएसपी ₹8,110 प्रति क्विंटल तय की गई है। इस बढ़ोतरी के बाद बाजार भाव और MSP के बीच का अंतर और बढ़ सकता है। ऐसे में किसानों की आय बचाने में CCI की भूमिका और भी अहम हो जाएगी। आपको बता दें कि इस बार MSP पर खरीद पूरी तरह पेपरलेस होगी। इसके लिए CCI एक नया मोबाइल ऐप लॉन्च कर रहा है। किसान इस ऐप पर रजिस्ट्रेशन करके स्लॉट बुक कर सकेंगे और आसानी से अपना माल बेच पाएंगे।
कितना है कपास का रकबा
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2025-26 में कपास की बुवाई 107.87 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल से 3% कम है।गुजरात और महाराष्ट्र में क्षेत्र घटा है क्योंकि किसानों ने मूंगफली, मक्का और दालें बोई हैं। जबकि कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में क्षेत्र बढ़ा है। इस साल उत्पादन का अनुमान 306.92 लाख गांठ है। CCI के चेयरमैन और एमडी ललित कुमार गुप्ता ने कहा है कि ज़रूरत पड़ने पर CCI पिछले साल से भी ज्यादा कपास खरीदेगा। कोविड के समय भी कंपनी ने 2 करोड़ गांठ तक खरीदी की थी, इसलिए किसानों को घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।