माइक्रो इरिगेशन पर CISH दे रहा युवाओं और किसानों को मुफ्त ट्रेनिंग, सर्टिफिकेट दिला रहा नौकरी

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लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। अगर आप किसान हैं या फिर बेरोजगार युवा हैं और नौकरी की तलाश में हैं तो केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में होने वाली माइक्रो इरिगेशन की ट्रेनिंग आपको मौका दे सकती है। सीआईएसएच एक बार में 30 लोगों को ट्रेनिंग देता है, जिसमें किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर के जरिए उन्नत खेती और युवाओं को माइक्रे इरिगेशन सेक्टर में रोजगार के अवसर और नौकरी के लिए प्रशक्षित किया जाता है।

मूंगफली की फसल में स्प्रिंकलर से सिंचाई। फोटो- न्यूज पोटली

आईसीएआर के संस्थान केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आर.एस सिंह ने न्यूज पोटली को बताया, “सुनियोजिग कृषि विकास योजना के तहत सीआईएसएच में 30-30 के बैच में किसानों और युवाओं को सूक्ष्म सिंचाई से जुड़ी ट्रेनिंग दी जा रही है। पिछले महीने हमने जिन 30 लोगों को ट्रेनिंग दी थी, इसमें से 18 लोगों की नौकरी जैन इरिगेशऩ कंपनी में लगी है। संस्थान द्वारा दिए जा रहा सर्टिफिकेट यूपी की किसी भी माइक्रो इरिगेशऩ कंपनी में संबंधित जॉब के लिए मान्य है।”

10-17 जून तक ट्रेनिंग- खाने और रहने की मुफ्त व्यवस्था

डॉ सिंह ने आगे बताया, “अगला बैच 10-17 जून के बीच होगा। ऐसे किसान और युवा जो ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई से खेती करना चाहते हैं या इनसे जुड़ा काम करना चाहते हैं वो आवेदन कर सकते हैं। आवेदन संस्थान की वेबसाइट के जरिए मिलेगा, इसके अलावा अभ्यर्थी सीधे मुझे मोबाइल ( नंबर 9455058875) पर भी संपर्क कर सकते हैं। अभ्यर्थियों के ठहरने और खाने का इंतजाम संस्थान द्वारा किया जाएगा।”

ड्रिप और स्प्रिंकलर इरिगेशन सिस्टम पर 80-90 फीसदी छूट

किसानों की कम लागत में उपज और आमदनी बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार बड़े पैमाने पर सूक्ष्म सिंचाई के लिए किसानों को सब्सिडी दे रही है। उत्तर प्रदेश में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के यूपीएमआईपी प्रोजेक्ट के जरिए किसानों को 80से 90 फीसदी सब्सिडी दे रही है।

इच्छुक किसान यूपीएमआईपी पोर्टल के जरिए अपनी पसंद की कंपनी के जरिए अपने खेत में ड्रिप या स्प्रिंकलर लगवा सकते हैं। योजना के तहत 2 हेक्टेयर तक के किसानों को 90 फीसदी जबकि उससे ज्यादा की जोत वाले किसानों को 80 फीसदी सब्सिडी मिलती है।

पहले किसान को पूरे प्रोजेक्ट की लागत और 18 फीसदी जीएसटी देनी होती थी, जबकि अब सिर्फ कृषक अंश देना होता है।

ज्यादा जानकारी के लिए अपने जिले के जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क करें।

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