कर्नाटक के किसानों और राज्य सरकार के लंबे समय से मांग के बाद केंद्र सरकार कर्नाटक में किसानों से मूंग, हरे चने और सूरजमुखी के बीज खरीदने के लिए तैयार हो गई है. केंद्र की ओर से हरे चने की कीमत ₹8,682 प्रति क्विंटल तय की गई है जबकि सूरजमुखी के बीज की कीमत ₹7,280 प्रति क्विंटल तय की गई है. राज्य के कृषि मंत्री ने ये जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को दाल की फसल पर एमएसपी पर खरीद के लिए तैयार हो गई है. केंद्र सरकार 22,215 टन मूंग और 13,210 टन सूरजमुखी के बीज खरीदेगी.
कैसे होगी खरीद?
केंद्र के इस फैसले के बाद राज्य सरकार ने ज़िला उपायुक्तों को मूंग और सूरजमुखी उगाने वाले जिलों में टास्क फोर्स की बैठकें करने और उपज की खरीद के लिए जगहों की पहचान करने को कहा है. कृषि मंत्री ने कहा कि खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी.
कर्नाटक में किसानों की पसंदीदा क्यों है दाल की खेती?
दाल एक छोटी अवधि की फसल है, जिसकी उपज केवल 75 दिनों के आसपास होती है, इसलिए इसकी खेती यहाँ के किसान पसंद करते हैं. मूंग जैसी फसलों की बुवाई प्री-मानसून बारिश और दक्षिण-पश्चिम मानसून के शुरुआती दिनों पर निर्भर करती है. अगर बारिश साथ दे तो हरे चने और मूँग की खेती के लिए कर्नाटक मुफीद जगह है. यही कारण है कि अरहर के बाद मूंग कर्नाटक में उगाई जाने वाली प्रमुख दाल बन गई है.
कृषि विभाग गडग के संयुक्त निदेशक तारामणि जी एच के अनुसार,
“छोटी अवधि की फसल होने के कारण, यह किसानों को जल्दी दूसरी फसल लेने में मदद करती है। कीमत भी अच्छी और स्थिर है. बुआई आमतौर पर 15 जून के आसपास समाप्त हो जाती है, क्योंकि देर से बुवाई करने से उपज प्रभावित होती है.”
डेक्कन हैराल्ड अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर खेती की जमीन पट्टे पर है तो खेती की लागत 8,000 रुपये प्रति एकड़ या 20,000 रुपये से अधिक हो सकती है. इस बार मूंग की कीमत 9,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचने की उम्मीद है. रिपोर्ट में किसानों से बातचीत के आधार पर कहा गया है कि इस बार हरे चने का उत्पादन प्रति एकड़ आठ क्विंटल होने का अनुमान है. पिछले साल किसान बारिश की कमी के कारण हरे चने की बुवाई नहीं कर सके थे. 2023 में सूखे और 2019 में खराब प्री-मानसून बारिश के कारण मूंग की खेती को नुकसान हुआ था. इस बार अच्छी प्री-मानसून बारिश ने पर्याप्त नमी पैदा की है, जिसकी वजह से किसानों ने इस बार बड़ी संख्या में मूंग और हरे कहने की बुवाई की है. इन इलाकों में रबी सीज़न में किसान बंगाली चना उगाते हैं.
मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है हरे चने और मूंग की खेती
कृषि मौसम विज्ञानी आर एच पाटिल के अनुसार
“एक फलीदार पौधा होने के नाते, हरा चना मिट्टी को उपजाऊ बनाता है, और मक्का या मिर्च के ठीक उलट, जल्दी तैयार हो जाता है जिससे रबी फसलों की समय से खेती की जा सकती है. इसी तरह, मूंग के पौधे जलभराव को छोड़कर विपरीत परिस्थितियों में भी जीवित रहते हैं. इसमें उर्वरक की आवश्यकता कम होती है और ये बाकी फसलों के मुकाबले ज्यादा रोग प्रतिरोधी होता है. कुल मिलाकर इसका भी उत्पादन लागत कम है और पैदावार अधिक. खास बात ये है कि इससे दाल बनाने के लिए मशीनीकृत कुटाई की सुविधा भी आसानी से उपलब्ध है तो किसानों की मेहनत भी बचाता है.”
केंद्र सरकार के इस फैसले से क्या बदलेगा?
दरअसल, कर्नाटक में किसानों की एक लंबे समय से मांग थी कि वे दाल उत्पादन तो कर रहे हैं लेकिन सरकारों की तरफ से खरीद की समुचित व्यवस्था नहीं की जा रही. कर्नाटक सरकार इसके जवाब में केंद्र से सवाल किया करती थी कि क्यों नहीं केंद्र सरकार कर्नाटक के दाल उत्पादक किसानों के लिए एमएसपी पर खरीद की व्यवस्था बनाती है. केंद्र के इस फैसले के बाद किसानों के लिए उनकी फसल की उचित दाम खरीद के मौके बढ़ेंगे और एमएसपी तय होने की वजह से राज्य के किसान कम दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर नहीं होंगे.