दलहन उत्‍पादन में आत्मनर्भिर बनने के ल‍िए केंद्र सरकार का Master plan, कृष‍ि मंत्री का बड़ा फैसला

केंद्र सरकार दालों का आयात कम करने और दलहन उत्‍पादन में आत्‍मन‍िर्भर बनने के ल‍िए इन फसलों का 100 फीसदी खरीद करने का फैसला ल‍िया है। शुक्रवार को राज्‍यों के कृष‍ि मंत्र‍ियों के साथ हुई बैठक के दौरान कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा क‍ि केंद्र सरकार फसल विविधीकरण (Crop Diversification) सुनिश्चित करने और दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मसूर, उड़द और तुअर की 100 फीसदी खरीद करेगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्‍होंने राज्यों से आग्रह किया गया कि वे केंद्र के साथ मिलकर काम करें ताकि भारत न केवल खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बने बल्कि विश्व का खाद्यान्न भंडार भी बने।

देश में दालों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता को देखते हुए यह बैठक बुलाई गई थी, ताकि आयात को कम किया जा सके। बैठक में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, बिहार, तेलंगाना जैसे प्रमुख दाल उत्पादक राज्यों के कृषि मंत्री मौजूद थे। 
केंद्रीय मंत्री मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा कि किसानों के लिए नेशनल एग्रीकल्चर कॉऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (NAFED) और भारतीय नेशनल को-ऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन (NCCF) के माध्यम से ई-समृद्धि पोर्टल शुरू किया गया है। जो किसान इस पोर्टल पर रजिस्टर्ड होंगे सरकार उन किसानों से MSP पर इन दालों की ख़रीद करेगी। राज्यों से भी उन्होंने आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक किसानों को इस पोर्टल पर रजिस्टर करें जिससे वे इस सुविधा का लाभ उठा सकें।

2027 तक आत्मनिर्भरता का लक्ष्य 

केंद्रीय कृषि मंत्री ने आगे कहा कि देश मसूर, उड़द और तुअर फसलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है और 2027 तक आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य है।केंद्रीय मंत्री ने 2015-16 से दालों के उत्पादन में 50 फीसदी की बढ़ोतरी करने के लिए राज्यों के प्रयासों की सराहना की, लेकिन प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाने और किसानों को दालों की खेती के लिए प्रेरित करने के लिए और अधिक प्रयास करने की बात कही। उन्होंने इस बात की तारीफ की कि देश ने मूंग और चना में आत्मनिर्भरता हासिल की है और कहा कि देश का पिछले 10 सालों के दौरान इंपोर्ट पर निर्भरता 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी हो गई है।

आदर्श दलहन ग्राम योजना

आगे उन्होंने खरीफ सीजन से शुरू की जा रही नई आदर्श दलहन ग्राम योजना की जानकारी दी और राज्य सरकारों से कहा कि वे चावल की फसल कटने के बाद दालों के लिए उपलब्ध परती भूमि का उपयोग करें। और उन्होंने राज्य सरकारों से तुअर की अंतर-फसल को भी जोरदार तरीके से अपनाने को कहा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को एक-दूसरे के साथ अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना चाहिए।

उन्होंने सांसदों, विधायकों जैसे निर्वाचित प्रतिनिधियों को कृषि विज्ञान केंद्र(KVK) में सक्रिय रहने की सलाह दी।

मिट्टी की उर्वरता ज़रूरी 



उन्होंने फसल विविधीकरण की आवश्यकता तथा मिट्टी की उर्वरता को बहाल करने की आवश्यकता के बारे में बात की। कहा कि उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों गुणवत्तापूर्ण इनपुट जैसे कि अच्छी गुणवत्ता वाले बीज ज़रूरी है और बताया कि अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता के लिए भारत सरकार ने 150 दलहन बीज हब खोले हैं तथा कम उत्पादकता वाले जिलों में ICAR द्वारा क्लस्टर फ्रंट लाइन प्रदर्शन (CFLD) दिए जा रहे हैं।

उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मुकाबला करने के लिए जलवायु अनुकूल किस्मों तथा कम अवधि वाली किस्मों को विकसित करने की बात कही।और राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे राज्य बीज निगमों को मजबूत करके अपने बीज वितरण प्रणालियों को मजबूत करें।

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