समस्तीपुर (बिहार)। कई बार आप आलू काटते हैं आलू काला निकल जाता है। ये आलू खाने योग्य नही होता है इसे फेकना पडता है। ऐसे में उपभोक्ताओं का पैसा बरबाद हो जाता है ।
सर्दी का मौसम है खेतों में कई प्रकार की सब्जियां उगाई जाती हैं। ऐसे में उन्हें रोगो से बचन किसानों के लिए किसी बला से कमा नहीं है। ऐसे में आलू की फसल में लगने वाले ब्लैकहार्ट रोग से फसल को कैसे बचाया जा सकता है।ब्लैकहार्ट रोग आलू की फसल में लगने वाला एक शारीरिक रोग है जो आलू के कंदों को बुरी तरह से प्रभावित कर देता है। इसमें आलू केबीच में काले और बदरंग होल हो जाते है जिससे अक्सर किसानों को नुकसान होता है। आलू की गुणवत्ता भी कम हो जाती है। आलू बेहतर उत्पन उत्पादन के लिए ब्लैकहार्ट रोग के कारणों प्रभावों और प्रबंधन रणनीतियों को समझना आवश्यक है।
आलू में ब्लैक हार्ट रोग के प्रमुख कारण
आलू में ब्लैकहार्ट रोग लगने के कई कारक हैं जिसमे तापमान में उतार-चढ़ाव: कंद के विकास और भंडारण के दौरान तापमान में तेजी से बदलाव से पौधे पर दबाव पड़ सकता है जिसके कारण ब्लैकहार्ट रोग लग सकता है।
नमी का असर
खेती की मिट्टी में अधिक नमी के चलती कंद के विकास पर प्रभाव पड़ता है ऐसे में ब्लैकहार्ट बनने की संभावना बनी रहती है।
पोषक तत्वों का असंतुलन
खेत में अधिक उर्वरको के प्रयोग से मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है। यदि मिटटी में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम की मात्रा अधिक होगी तो आलू की फसल में ब्लैकहार्ट रोग लगने की सम्भावना बढ़ जाती है।
खुदाई करके भंडारण करना
आलू की खुदाई के समय लापरवाही बरतने और भंडारण की अनुचित स्थिति के कारण भी आलू में कालापन आता है।
रोग से आर्थिक नुकसान
जिस आलू में ब्लैकहार्ट रोग लग जाता है उसकी कीमत बज्र में बिक रहे आलू की कीमत से कम हो जाती है। उत्पादन में जमी के कारण किसानों को वित्तीय नुकसान होता है।
आलू की गुणवत्ता में कमी
ब्लैकहार्ट रोग लगे आलू को बाजार में कोई जल्दी खरीदता नहीं है। इससे उपभोक्ताओं को गुणवत्ता संबंधी समस्याएं होती हैं। इससे किसानों की प्रतिष्ठा दांव पर लग जाती है।
भंडारण सम्बंधित चुनौतियाँ
ब्लैकहार्ट रोग से प्रभावित कंदों के भंडारण के दौरान सड़ने और खराब होने की संभावना अधिक होती है। जिससे खुदाई के बाद नुकसान और बढ़ जाता है।
पोषण संबंधी प्रभाव
ब्लैकहार्ट रोग वाले आलू में पोषक तत्व काम हो जाते हैं और इसका स्वाद भी अच्छा नहीं होता है।
प्रबंधन रणनीतियाँ
ब्लैकहार्ट रोग के प्रबंधन के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। जो रोपण से पहले खेती और खुदाई के बाद की समस्याओं को दूर करता है।
खेती के लिए मिट्टी का प्रबंधन
आलू की बुवाई करने से पहले मिट्टी और पोषक तत्वों के असंतुलन की जाँच जरूर करवाए। कैल्शियम के स्तर को ठीक रखें। ये ब्लैकहार्ट रोग लगने की सम्भावना को कम कम करता है।
सिंचाई प्रबंधन का प्रबंधन
बढ़ते मौसम के दौरान मिट्टी की नमी के स्तर को लगातार बनाए रखने के लिए उचित सिंचाई प्रथाओं को लागू करने से पौधों पर तनाव कम हो सकता है इससे ब्लैकहार्ट की घटना कम हो सकती है।
बुवाई के लिए किस्मों का चयन
ब्लैकहार्ट के प्रति कम संवेदनशीलता वाली आलू की किस्मों को चुनने से क्षेत्र में विकार के प्रसार को कम करने में मदद मिल सकती है।
खुदाई और रख-रखाव
आलू की खुदाई के दौरान सावधानी बरत नई चाहिए। जलवायु और तापमान नियंत्रण सहित उचित भंडारण की स्थिति में हो। भौतिक क्षति को रोकने और भंडारण के दौरान ब्लैकहार्ट विकास को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
खुदाई के बाद के उपचार
आलू की खुदाई के बाद कैल्शियम स्प्रे या डिप्स का उपयोग करें। कोशिका की दीवारों को मजबूत करने और भंडारित आलू में ब्लैकहार्ट रोग की घटनाओं को कम करने में मदद करता है।
फसल चक्र
फसल चक्रण से रोग लगनी की सम्भावना कम हो जाती है। मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है।ऐसे में आलू की फसल में ब्लैकहार्ट रोग की संभावना कम हो जाती है।
सौजन्य से – डॉ एसके सिंह विभागाध्यक्ष,पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी ,प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना, डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी पूसा-848 125, समस्तीपुर,बिहार