प्याज की राजधानी नासिक में किसानों की हालत खराब

प्याज की राजधानी नासिक में किसानों की हालत खराब, सरकार से मदद की गुहार

महाराष्ट्र के नासिक के प्याज किसान खराब मौसम, गिरती कीमतों और बदलती सरकारी नीतियों से परेशान हैं। किसानों का कहना है कि उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही, इसलिए वे प्याज पर MSP की मांग कर रहे हैं। लगातार नुकसान झेलने के कारण कई किसान प्याज की खेती छोड़कर दूसरी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।

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रबी सीजन 2025-26

रबी सीजन 2025-26: बुवाई में जबरदस्त तेजी, किसानों में उत्साह

रबी सीजन 2025-26 में बुवाई पिछले साल से 27% ज्यादा हुई है। अब तक 130.32 लाख हेक्टेयर में फसलें बोई जा चुकी हैं।
सबसे ज्यादा बढ़त गेहूं, दलहन और तिलहन में रही है।किसानों का रुझान इन फसलों की ओर बढ़ा है और उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

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बदलते मौसम में भी देगा बंपर गेहूं उत्पादन

DBW 327: बदलते मौसम में भी देगा बंपर गेहूं उत्पादन

ICAR ने गेहूं की नई किस्म DBW 327 (करन शिवानी) विकसित की है, जो समय से पहले बोई जाने वाली सिंचित भूमि के लिए उपयुक्त है। यह किस्म 7.5 टन प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है, मौसम की मार झेल सकती है और पोषक तत्वों से भरपूर है। किसानों के लिए यह उच्च उत्पादन और टिकाऊ खेती का बेहतर विकल्प है।

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WHO सम्मेलन से बाहर किए गए भारत के तंबाकू किसान

WHO सम्मेलन से बाहर किए गए भारत के तंबाकू किसान, FAIFA ने जताई नाराजगी

FAIFA (Federation of All India Farmer Associations) ने WHO के तंबाकू नियंत्रण सम्मेलन (COP11) से बाहर किए जाने पर नाराजगी जताई है। संगठन का कहना है कि करोड़ों तंबाकू किसान और कामगारों की आजीविका पर असर डालने वाले फैसले उनकी बात सुने बिना लिए जा रहे हैं। FAIFA ने कहा कि WHO का यह कदम भेदभावपूर्ण है, जबकि FCTC समझौते में खुद किसानों की आजीविका की रक्षा और वैकल्पिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही गई है। भारत दुनिया के सबसे बड़े तंबाकू उत्पादक देशों में से एक है, जहां 3.6 करोड़ लोग इस उद्योग से जुड़े हैं।

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HD 3226

HD 3226: ज्यादा उपज और रोगों से सुरक्षा देने वाली गेहूं की किस्म

HD 3226 नाम की नई गेहूं किस्म अब उत्तर भारत के कई राज्यों में व्यावसायिक खेती के लिए मंजूर की गई है। यह किस्म ज्यादा पैदावार देती है, रस्ट जैसी बीमारियों से सुरक्षित है और इसकी रोटी-ब्रेड क्वालिटी बेहतरीन है। औसत उत्पादन 57.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और अधिकतम 79.6 क्विंटल तक हो सकता है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, यह किस्म उत्तर भारत में गेहूं की उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों बढ़ाने में मदद करेगी।

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मिलेट्स को मुनाफे की फसल बनाने की तैयारी

मिलेट्स को मुनाफे की फसल बनाने की तैयारी, कृषि मंत्री चौहान ने वैज्ञानिकों से की अपील

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मिलेट्स (श्री अन्न) को लाभदायक फसल बनाना जरूरी है ताकि किसान इसकी ओर बढ़ें। ओडिशा ने मिलेट्स उत्पादन में अच्छा काम किया है और अब बाकी राज्यों को भी इससे सीखना चाहिए। राज्य किसानों को ₹26,500 प्रति हेक्टेयर सब्सिडी दे रहा है। चौहान ने महिला किसानों को मिलेट्स प्रोसेसिंग से जोड़ने और एमएसपी पर खरीद बढ़ाने पर जोर दिया।

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खेती-किसानी

8.6% से 17.7% तक का सफर, यूपी की खेती-किसानी ने रचा नया इतिहास

उत्तर प्रदेश ने खेती-किसानी में बड़ी प्रगति की है। राज्य की कृषि विकास दर 8.6% से बढ़कर 17.7% हो गई है। सरकार की योजनाओं, सिंचाई सुविधाओं और तकनीकी खेती के कारण गेहूं, चावल, गन्ना, तिलहन और दलहन का उत्पादन बढ़ा है। यूपी अब गेहूं, गन्ना और दूध उत्पादन में देश में नंबर वन है, जबकि इथेनॉल उत्पादन में 42.27% योगदान के साथ सबसे आगे है। सरकार का अगला लक्ष्य 2027 तक किसानों की आय दोगुनी करना और प्रदेश को कृषि आत्मनिर्भर राज्य बनाना है।

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हरियाणा

हरियाणा में बागवानी को बढ़ावा, किसानों को मिलेगी 1.40 लाख तक सब्सिडी

हरियाणा सरकार किसानों को फल, सब्जी, फूल, मसाले और सुगंधित पौधों की खेती के लिए सब्सिडी दे रही है।योजना के तहत ₹8,000 से ₹1.40 लाख प्रति एकड़ तक सहायता मिलेगी, जो सीधे किसानों के बैंक खाते में जाएगी।किसान अधिकतम 5 एकड़ तक सब्सिडी ले सकते हैं और आवेदन ‘मेरी फसल–मेरा ब्यौरा’ व Hortnet पोर्टल पर कर सकते हैं।

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लो टनल तकनीक

लो टनल तकनीक से अब ऑफ-सीजन सब्जियों की होगी भरपूर पैदावार

लो टनल तकनीक ठंड के मौसम में सब्जियों की जल्दी और ज्यादा पैदावार के लिए बेहद उपयोगी है। इसमें पौधों को पारदर्शी प्लास्टिक शीट से ढक दिया जाता है, जिससे ठंड और पाले से बचाव होता है। इस तकनीक से फसल 30–40 दिन पहले तैयार हो जाती है और ऑफ-सीजन में ऊँचे दाम पर बिकती…

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एक बीघे से लाखों की कमाई

एक बीघे से लाखों की कमाई, जानिए मिर्च किसान छोटेलाल की कहानी

मिर्जापुर के किसान छोटेलाल सिंह ने मिर्च की खेती से अपनी जिंदगी बदल दी। वो बताते हैं कि सही जुताई, अच्छी खाद, गुणवत्तापूर्ण बीज, मल्चिंग और ड्रिप सिस्टम से फसल बेहतर होती है और लागत घटती है। एक बीघे में करीब ₹75,000 खर्च आता है, लेकिन मार्केट सही मिले तो ₹5–6 लाख तक का मुनाफा हो सकता है।

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