गेहूं की किस्म करण शिवानी DBW 327 दे सकती है 80 कुटंल प्रति हेक्टेयर तक की उपज
80 कुंटल प्रति हेक्टेयर उपज देने वाली गेहूं की किस्म DBW 327 पश्चिमी यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के लिए उपयोगी किस्म।
80 कुंटल प्रति हेक्टेयर उपज देने वाली गेहूं की किस्म DBW 327 पश्चिमी यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के लिए उपयोगी किस्म।
फसल के विकास के लिए कुछ पोषक तत्वों की जरूरत होती है जिसे किसान भाई उर्वरकों या खाद के सहारे पूरा करते हैं। एक फसल को 17 तरह के षोषक तत्वों की जरूरत रहती है जिसमें मेजर हिस्सा कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम होता है।
एक पौधे को अच्छे से ग्रोथ करने के लिए कार्बन नाइट्रोजन, पोटशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीज, सल्फर, बोरान जैसे 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है। पारम्परिक तरीके से खाद देने पर पोषक तत्वों का सिर्फ 40 से 50 प्रतिशत ही पौधे को मिल पाता है वहीं जल विलेय उर्वरक देने पर इसका लाभ प्रतिशत 90 तक पहुंच जाता है।
माना जा रहा है 2024 के आम चुनावों से पहले किसानों को योगी आदित्नाथ सरकार उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए नासूर बनी समस्या का बड़ा समाधान करेगी। खेत सुरक्षा योजना पहले से कई राज्यों में लागू है।
मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना के तहत किसानों को खेत के चारों तरफ सोलर फेंसिंग लगवानी होगी। जिस पर लगने वाली लागत का 60 फीसदी खर्च सरकार देगी। इस तरह के प्रस्ताव पर कवायद जारी है।
आने वाले दिनों में किसानों के लिए खेतों में उर्वरकों का छिड़काव और आसान हो जाएगा। खेती-किसानी में नैनो फर्टीलाइजर लाने वाली सहकारी संस्था इफको कृषि में तकनीकी जरूरतों पर खासा ध्यान दे रहा ही। इस दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए किसानों की अग्रणी कॉपरेविटव संस्था इफको ने 2500 ड्रोन की खरीद शुरु की है। इन ड्रोन के जरिए इफको तरल उर्वरकों का छिड़काव किया जाएगा।
जनवरी माह में कभी कभी बौर जल्दी निकल आते है ,यथासम्भव तोड़ देना चाहिए। इससे गुम्मा रोग का प्रकोप कम हो जाता है। बौर निकलने के समय पुष्प मिज कीट का प्रकोप दिखते ही क्विनालफास (1 मि.ली./लीटर ) या डामेथोएट (1.5 मि.ली./लीटर ) पानी में घोल कर छिड़काव किया जाना चाहिए।
“धान की खेती में अब ज्यादा पानी और ज्यादा समय नहीं लगता, धान की खेती पुराने तरीके से न करके ACR विधि से करते हैं।”- अवतार सिंह, फगवाड़ा गुड ग्रो फार्म
“जब टमाटर महँगा हुआ तो हमारे खेत में माल नहीं है, 15-20 दिन पहले रोज़ 10- 20 कैरेट माल निकलता था तो 3 रुपए से 10 रुपए किलो में बेचना पड़ रहा था, अब 100 रुपए का भाव है तो खेत से 2 कैरेट (प्रति कैरेट 25 किलो) मुश्किल से निकल रही। भाव इसीलिए बढ़ा है क्योंकि ज़्यादातर किसानों के खेत में फसल ख़त्म हो गई है, इसका कोई ख़ास फ़ायदा नहीं।”
Why is there a sudden hike in tomato prices? The prices are skyrocketing, with as high as 100rs /kg and seems it won’t get down soon.
यह आयोजन कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है। इस आयोजन में देश के 11 राज्यों के करीब 270 प्रतिनिधि हैं जिनमें चुने हुए पंचायत प्रतिनिधि हैं तो विश्वविद्यालयों से जुड़े लोग भी हैं, सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं और एनजीओ से जुड़े लोग भी हैं। सरकार के अधिकारी भी हैं और इन मुद्दों को कानूनी ढंग से समझने वाली जमात के लोग भी आए हैं।