खेत में जलभराव की समस्या के लिए बेहतरीन समाधान
खेत में पानी भर जाने पर इंजन लगाकर पानी को खेत से बाहर निकालते हैं पर उसमें भी समय और पैसा लगता है और फसल को नुकसान तो हो ही चुका होता है। जलभराव की इन समस्याओं को एक सिस्टम लगाकर खत्म किया जा सकता हैं।
खेत में पानी भर जाने पर इंजन लगाकर पानी को खेत से बाहर निकालते हैं पर उसमें भी समय और पैसा लगता है और फसल को नुकसान तो हो ही चुका होता है। जलभराव की इन समस्याओं को एक सिस्टम लगाकर खत्म किया जा सकता हैं।
बढ़ती गर्मी से हमारा शरीर परेशान हो जाता है, शरीर का तापमान सही बना रहे, ज्यादा पसीना न निकले इसके लिए हम पंखा, कूलर, ऐसी इन सबका इस्तेमाल करते हैं, पर क्या इससे आपके शरीर को अंदर से सच में राहत मिल जाती है, क्या सच में शरीर में ताजगी आ जाती है?
किसान भाइयों अनार का पौधा एक बार लगाने पर 25 साल तक फल देता है। यानि इसकी खेती में पहले साल लागत आती है, उसके बाद मुनाफा ही मुनाफा।
अनार का पौधा 2 से 4 साल में फल देने लगता है। इसके फल 120 से 180 दिन में तैयार होते है।
फेरीवाले से बढ़कर आज बैजनाथ प्रजापति ने निजामाबाद मार्केट में अपना एक शोरूम खोल लिया है। सरकार की एक पहल ODOP (one district one product) के तहत उनका मिट्टी के बर्तन का काम और बढ़ गया।
14201, 13235, 15023 के साथ ही C0-118, C0-238, कोसा 8272, कोसा 13231, 15207, 15466 समेत कई उन्नतशील किस्मों की बुवाई करते हैं हिंमाशु नाथ सिंह
गन्ना किसानों के अगले 45-60 दिन हैं महत्वपूर्ण, 15 मार्च से मई तक बोरर कीटों से गन्ने की फसल को कैसे बचाएं?
इस साल फसल का जितना नुकसान जनवरी-फरवरी में हुआ, वो 2022 में जनवरी-फरवरी में हुए फसल के नुकसान से 13 गुना ज्यादा है।
शहरी सभ्यता के विकास के साथ फलों के रस का प्रचलन शरू हुआ, लेकिन फलों से होने वाले फायदे इनके रस से नहीं मिल सकते। फलों का रस पीने से उनमें मौजूद शुगर रक्त में तुरंत मिल जाती है, जो काफी हानिकारक हो सकती है। फल खाने से यह समस्या नहीं आती है।
किसानों और उर्वरक सेक्टर के लिए बड़ी खबर है। इफको की नैनो तरल डीएपी को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। इफको के मुताबिक एक बोरी डीएपी का काम आधा लीटर की बोतल करेगी। नई दिल्ली। दुनिया की पहली नैनो तरल यूरिया के बाद नैनो डीएपी Nano DAP जल्द किसानों को उपलब्ध होगी। नैनो…
फाउण्डेशन ने भारत के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (CGIAR) के साथ हाथ मिलाया जिससे कि वो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में काम कर रहे वैज्ञानिकों और उनके किए गए कामों में अपना योगदान दे सकें।