मूंग की उन्नत किस्मों की बुवाई, हरी खाद के लिए ढैंचा-सनई की करें बुवाई, पूसा ने किसानों के लिए जारी की एडवाइजरी

पूसा ने कृषि कार्य को लेकर किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इस मौसम में तैयार गेहूं की फसल की कटाई की सलाह दी गई है। किसान कटी हुई फसलों को बांधकर तथा ढककर रखे अन्यथा तेज हवा या आंधी से फसल एक खेत से दूसरे खेत में जा सकती है। रबी फसल यदि कट चुकी है तो उसमें हरी खाद के लिए खेत में पलेवा करें। हरी खाद के लिए ढैंचा, सनई अथवा लोबिया की बुवाई की जा सकती है। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।

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कपास के उत्पादन

कपास के उत्पादन में भारी गिरावट का अनुमान, आयात भी हुआ दोगुना

भारतीय कपास संघ (CAI) के मुताबिक़ घरेलू कपास उत्पादन में गिरावट के कारण सितंबर में समाप्त होने वाले 2024-25 सीजन के लिए भारत का कपास आयात दोगुना से भी ज़्यादा अधिक बढ़कर 33 लाख गांठ हो गया है, जिनमें से प्रत्येक का वजन 170 किलोग्राम है। पिछले सीजन में भारत का कपास आयात 15.20 लाख गांठ था। आयात में वृद्धि का कारण अनुमानित घरेलू उत्पादन से कम रहने की उम्मीद है, जबकि खपत स्थिर देखी जा रही है।

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गन्ने की फसल

गन्ने की फसल में बढ़ रहा है फड़का रोग का प्रकोप, गन्ना वैज्ञानिक से जानें उपचार के तरीके

गन्ना एक नकदी फसल है, जिसका देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। गन्ना किसानों की आय का एक मुख्य स्रोत भी है। आपको बता दें कि भारत में गन्ने की सबसे ज्यादा खेती उत्तर प्रदेश में होती है। यहां 28.53 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन पर गन्ने की खेती होती है, जिस पर लगभग 839 कुंटल प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन होता है। वर्तमान में प्रदेश के किसानों ने ग्रीष्मकालीन गन्ने की बुवाई की हुई है। इस दौरान प्रदेश के कई जिलों में किसान फसल में पाइरीला का प्रकोप देख रहे हैं। पाइरीला को किसान फड़का रोग भी कहते हैं। इस रोग से बचाव के लिए प्रसिद्ध गन्ना वैज्ञानिक पद्मश्री बक्शीराम यादव ने किसानों को कुछ जरुरी टिप्स दिये हैं।

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बिहार सरकार

रबी 2024-25 मौसम के लिए ‘बिहार राज्य फसल सहायता योजना’ के तहत किसान 21 अप्रैल 2025 तक कर सकते हैं आवेदन

बिहार सरकार के सहकारिता विभाग की ओर से चल रही “बिहार राज्य फसल सहायता योजना” के तहत खरीफ मौसम 2024 के लिए पात्र किसानों के आंकड़ों के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. योजना के तहत सबसे अधिक आवेदन पूर्वी चंपारण जिले से मिले हैं, जहां करीब 9 लाख 59 हजार 502 किसानों ने आवेदन किया. इसके साथ ही रबी 2024-25 मौसम के लिए भी किसानों से आवेदन लिए जाने की शुरुआत हो चुकी है. आपको बता दें कि ‘बिहार राज्य फसल सहायता योजना’ के लिए आवेदन प्रक्रिया 7 सितंबर 2024 से 18 नवंबर 2024 तक चली, जिसमें राज्य भर से कुल 9,59,502 किसानों ने आवेदन किया.

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हरियाणा

हरियाणा में बनेगा हाइड्रोपोनिक्स खेती के लिए ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’

हरियाणा और इजरायल ने बागवानी के क्षेत्र में खेती-किसानी में नए तकनीक को लेकर एक साझा दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है. हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा और इजरायल के कृषि और खाद्य सुरक्षा मंत्री एवी डिक्टर के बीच इंडो-इजरायल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल्स, घरौंडा (करनाल) में महत्वपूर्ण बैठक हुई. यह बैठक दोनों देशों के बीच नई दिल्ली में हुए कृषि सहयोग समझौते और कार्य योजना पर हस्ताक्षर के एक दिन बाद आयोजित की गई. इस बैठक में हाइड्रोपोनिक्स के क्षेत्र में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में विकसित करने पर सहमति जताई गई.

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जायद फसलों

ग्रीष्मकालीन बुवाई क्षेत्र में 15 प्रतिशत की वृद्धि, लेकिन तिलहन का रकबा लगभग स्थिर

इस समय देशभर में रबी फसलों की कटाई और जायद फसलों की बुवाई का काम चल रहा है। जायद सीजन में मुख्य रूप से मूंग, उड़द, मक्का और सब्जियों की खेती होती है। इसके अलावा कुछ जगहों पर दलहन और तिलहन फसलों के अलावा धान की भी खेती की जाती है।आपको बता दें कि जायद फसलों की बुवाई का सही समय मार्च से अप्रैल तक माना जाता है।

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बीटी कॉटन के बीजों की बढ़ती कीमतों पर राकेश टिकैत ने कृषि मंत्री चौहान को लिखा पत्र

बीटी कपास की बढ़ती कीमतों को देखते हुए बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर इस ओर ध्यान दिलाया है। राकेश टिकैत ने पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार ने बीटी कपास के बीजों की कीमतों में बढ़ोतरी का बेहद चिंताजनक फैसला लिया है। बीटी कपास की विफलता के कारण कपास की पैदावार में भारी गिरावट आ रही है और हाल के वर्षों में देश के विभिन्न हिस्सों में कीटों, विशेष रूप से गुलाबी बॉलवर्म के हमले बढ़े हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।

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कृषि सलाह

मौसम को देखते हुए किसान करें ये काम, पूसा ने 13 अप्रैल तक के लिए जारी की एडवाइजरी

बदलते मौसम को देखते हुए पूसा ने किसानों के लिए कृषि सलाह जारी की है। किसान इन उपायों को अपनाकर अपनी फसलों को भीषण गर्मी से बचा सकते हैं। पूसा ने एडवाइजरी में कहा है कि किसान अनाज भंडारण से पहले गोदाम को साफ कर लें और अनाज को सुखा लें। अनाज में नमी 12 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। छत या दीवारों पर दरारें हों तो उन्हें भरकर ठीक कर लें। बोरियों को 5 प्रतिशत नीम के तेल के घोल से उपचारित करें। बोरियों को धूप में सुखाएं। इससे कीड़ों और अन्य बीमारियों आदि के अंडे और लार्वा नष्ट हो जाएंगे। किसानों को सलाह दी जाती है कि कटी हुई फसल और अनाज को सुरक्षित स्थान पर रखें।

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महाराष्ट्र

अब महाराष्ट्र में होगी Silkworm की खेती, अगले पांच साल में 10 हजार किसानों को इससे जोड़ने का लक्ष्य

पिछले कई सालों से महाराष्ट्र के किसान जलवायु परिवर्तन और खेती पर इसके बुरे असर से परेशान हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार किसानों के लिए कमाई का नया विकल्प लेकर आई है। राज्य की मौजूदा सरकार राज्य में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देगी। इससे किसानों को आय का जरिया मिलेगा और राज्य में रेशम उत्पादन बढ़ेगा। फिलहाल सरकार ने 10,000 किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से पांच वर्षीय रेशम उत्पादन विकास योजना शुरू की है। इसमें महिलाओं और आदिवासी समुदायों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

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हरियाणा सरकार

हरियाणा में मूंग की खेती बढ़ाने के प्रयास, राज्य सरकार दे रही बीज पर 75% की सब्सिडी

हरियाणा सरकार राज्य में मूंग की खेती का दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए वह किसानों को आर्थिक मदद देकर प्रोत्साहित कर रही है। राज्य सरकार ग्रीष्मकालीन मूंग के बीज पर किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है। इस योजना के तहत सरकार हरियाणा बीज विकास निगम के राज्य भर में स्थित 75 बिक्री केंद्रों पर एमएच-421 किस्म का बीज अनुदान पर उपलब्ध कराएगी।

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