महाराष्ट्र

तुअर खरीद की बढ़ी तारीख, महाराष्ट्र के किसान इस तारीख तक MSP पर बेच सकते हैं अपनी उपज

महाराष्ट्र में अरहर यानी तुअर की सरकारी खरीद की समयसीमा, जो पहले 30 अप्रैल तय की गई थी, किसानों की मांग पर इस बढ़ा कर 13 मई तक कर दी गई। लेकिन अब किसानों और जनप्रतिनिधियों की मांग को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने पीपीएस योजना के तहत नाफेड (NAFED) और NCCF के माध्यम से हो रही तुअर खरीद की अंतिम तिथि 28 मई 2025 तक बढ़ा दी है। केंद्र की 90 दिनों की खरीद अवधि 13 मई को समाप्त हो चुकी थी।

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती में दो लाख हेक्टेयर की कमी आने का अनुमान… लेकिन क्यों?

महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती में दो लाख हेक्टेयर की कमी आने का अनुमान है। पिछले साल के कम रिटर्न और सरकारी नीतियों से किसान निराश हैं। और उन्हें दूसरी फसलें ज़्यादा सही लग रही हैं। राज्य के कृषि विभाग के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि पिछले वर्ष उपज पर कम लाभ के कारण महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती का रकबा दो लाख हेक्टेयर कम होने की उम्मीद है।

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अरहर और कपास

अरहर और कपास की बुवाई के लिए ये समय बेस्ट…पूसा ने ग्वार, मक्का, बाजरा की बुवाई का समय भी बताया

दिल्ली स्थित आईसीएआर, पूसा ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी के मुताबिक, किसान इस हफ्ते ग्वार, मक्का, बाजरा आदि चारा फसलों की बुवाई कर सकते हैं. एडवाइजरी में कहा गया है कि इस मौसम में बेल वाली फसलों और सब्जियों में न्यूनतम नमी बनाए रखें नहीं तो मिट्टी में कम नमी होने से फसलों के ग्रोथ पर असर हो सकता है, जिससे फसल उत्पादन में कमी आ सकती है. इसके अलावा मौसम में सब्जियों की फसल में कम अंतराल पर हल्की सिंचाई करते रहने की सलाह दी गई है.

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यूपी

यूपी में बढ़ रहा दलहन-तिलहन का उत्पादन, जानिए अभी जरूरत का कितना फीसदी हो रहा उत्पादन

केंद्र व राज्य सरकारें देश को दलहन-तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए इसकी खेती को बढ़ावा दे रही हैं। केंद्र सरकार ने तो किसानों से वादा भी किया है कि सरकार उनकी उपज को सौ प्रतिशत MSP पर ख़रीदेगी। दलहन हम जितना उगते हैं उससे ज़्यादा खाते हैं, इसीलिए दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है। लेकिन यूपी में दलहन-तिलहन के उत्पादन में सुधार देखने को मिला है। प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले आठ साल में दलहन के उत्पादन में करीब ढाई गुना की वृद्धि हुई है।

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ढैंचा की खेती

हरियाणा में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, ढैंचा की खेती के लिए प्रति एकड़ 1 हजार रुपये दे रही है सरकार

हरियाणा सरकार राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों को रासायनिक खाद पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से एक योजना लायी है. इस योजना के तहत अब जो किसान अपनी जमीन पर ढैंचा की खेती करेंगे, उन्हें सरकार की ओर से नकद प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाएगी.

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चाय की खेती

भारत में चाय की खेती, उत्पादन और निर्यात पर एक नजर

चाय, दुनिया में पानी के बाद दूसरा सबसे ज़्यादा पिया जाने वाला पेय पदार्थ है। भारत में कई करोड़ों लोगों की सुबह की शुरुआत चाय की चुस्कियों के साथ होती है। बहुत लोगों की शाम भी चाय के बिना अधूरी होती है। मतलब हम भारतीयों की जीवन में चाय का अहम स्थान है। उत्पादन की बात करें तो भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है। भारत के उत्तर पूर्वी भाग में सबसे अधिक चाय का उत्पादन होता है। इतना ही नहीं भारत दुनिया के सर्वाधिक चाय खपत करने वाले देशों में से एक है। इसके अलावा चाय भारत के नकदी फसलों में से भी एक है।पहाड़ी और आर्थिक पिछड़े इलाकों में चाय की खेती लोगों के लिए रोजगार का स्रोत भी है।

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धान की सीधी बुवाई

धान की सीधी बुवाई कैसे करें? बुवाई का सही समय और खेत की तैयारी समझें

धान की सीधी बुवाई एक ऐसी तकनीक है, जिसमें धान की रोपाई न करके मशीन के द्वारा सीधे खेत में बुवाई की जाती है। धान की सीधी बुवाई से न के वल श्रम लागत में कमी आती है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है, जैसे मीथेन गैस उत्सर्जन में कमी। साथ ही, फसल 7-10 दिन जल्दी पकने से किसान अगली फसल की तैयारी समय पर कर सकते हैं, जिससे फसल-प्रणाली के उत्पादन में सुधार होता है।

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जानिए धान की दो जीनोम संपादित किस्में कौन सी हैं? जो कम पानी, कम समय में अधिक उत्पादन देने में हैं सक्षम

हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने धान की दो जीनोम संपादित किस्में ‘कमला (DRR-100)’ और ‘DST राइस-1’ विकसित की हैं। ये किस्में कम पानी कम लागत में अधिक उत्पादन देने में सक्षम हैं। जीनोम संपादित किस्में विकसित करने वाला भारत पहला देश बन गया है।आईसीएआर का दावा है कि इससे 30 प्रतिशत तक धान का उत्पादन बढ़ जाएगा और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को भी कम करने में मदद मिलेगी।

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राजस्थान

बीटी कॉटन की ऐसे बुवाई करें किसान, राजस्थान के किसानों को कृषि अधिकारियों ने दी सलाह

राजस्थान के कई जिले में इन दिनों किसान खरीफ की मुख्य फसल बीटी कॉटन यानी कपास की बुवाई में जुटे हैं. इस बीच राजस्थान कृषि विभाग ने किसानों को बीटी कॉटन की बुवाई के लिए सलाह जारी की है. कृषि अधिकारियों ने किसानों से बीटी कपास की बुवाई से पहले उन्नत तकनीक अपनाने की अपील की है. राज्य सरकार ने बीटी कपास के संकर बीज-2 की 66 किस्मों को अनुमति दी है.

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बिहार में किसानों को कृषि सखियाँ सिखायेंगी प्राकृतिक खेती के गुर, 50 हजार किसानों को मिलेगा फायदा

बिहार सरकार राज्य में ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है. राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को जमीनी स्तर पर सशक्त करने के लिए प्रत्येक क्लस्टर में 2 कृषि सखियां नियुक्त करेगी. इस तरह राज्य में कुल 800 कृषि सखियों का चयन होगा. इन्हें हर महीने 16 दिन काम करके गांव-गांव प्राकृतिक खेती के गुर सिखाने होंगे. इसके लिए इन्हें रोजाना 300 रुपये मानदेय और 200 रुपये यात्रा भत्ता दिया जाएगा.

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