हाइड्रोपोनिक तकनीक

Hydroponic खेती क्या है, कैसे की जाती है, इसके लाभ क्या हैं ?

हाइड्रोपोनिक तकनीक भारत में धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है और किसानों को भी आकर्षित कर रही है. यह एक ऐसी तकनीक है, जिसके माध्यम से बिना मिट्टी के ही सब्जियों को उगाया जाता है. यानी इस प्रकार की तकनीक के जरिये खेती करने के लिए मिट्टी की ज़रूरत नहीं होती है. इसके जरिये बिना मिट्टी का इस्तेमाल किए आधुनिक तरीके से खेती की जा सकती है. इस प्रकार की खेती केवल पानी या पानी के साथ बालू और कंकड़ में की जाती है.

पूरी र‍िपोर्ट
चपाता मिर्च

प्राकृतिक लाल रंग वाले वारंगल के ‘टमाटर मिर्च’ को मिला GI टैग

प्राकृतिक लाल रंग के गुणों वाली वारंगल चपाता मिर्च को जीआई टैग मिला यह मान्यता तेलंगाना का 18वां जीआई रजिस्ट्रेशन है तथा बागवानी उत्पाद के लिए यह पहला रजिस्ट्रेशन है। मध्य तेलंगाना के कृषि जलवायु क्षेत्र में उगाई जाने वाली एक विशिष्ट किस्म वारंगल चपाता मिर्च को भौगोलिक पहचान (जीआई) टैग से सम्मानित किया गया है। स्थानीय रूप से इसे “टमाटर मिर्च” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसकी आकृति टमाटर जैसी होती है।

पूरी र‍िपोर्ट
असम के चाय

असम के चाय किसानों के लिए खुशखबरी, केंद्र की मदद से किसान 5% चाय बागानों पर करेंगे ऑयल पाम की खेती

केंद्र सरकार ने असम के चाय बागानों को अपने प्रमुख ऑयल पाम मिशन का लाभ उठाने की अनुमति दे दी है। यह निर्णय उत्तर-पूर्वी चाय संघ के अनुरोध के बाद लिया गया है। उत्तर-पूर्वी चाय संघ ने 4 फरवरी 2025 को केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखकर असम के चाय बागानों को इस योजना के दायरे में लाने की अपील की थी। आपको बता दें कि भारत खाद्य तेलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर पाम ऑयल के आयात पर निर्भर है। ऐसे में NMEO-OP मिशन से स्वदेशी खाद्य तेल उत्पादन बढ़ाने और आयात खर्च को कम करने में मदद मिलेगी।

पूरी र‍िपोर्ट
बिहार सरकार

बिहार सरकार स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट समेत इन फलों की खेती के लिए दे रही सब्सिडी

बिहार सरकार राज्य के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. राज्य सरकार अनाज उत्पादन के साथ ही फल, फूल और सब्ज़ियों की खेती को भी बढ़ावा दे रही है. इसके लिए किसानों को आर्थिक मदद करके प्रोत्साहित कर रही है. इसी क्रम में राज्य में क्लस्टर में बागवानी योजना की शुरुआत की गई है, जिसके तहत किसानों को फलों के पौधे और पेड़ लगाने के लिए सरकार सब्सिडी दे रही है. इस योजना के तहत गांव में न्यूनतम 25 एकड़ में बागवानी फसल के लिए सब्सिडी दिया जाएगा.

पूरी र‍िपोर्ट
सहफसली खेती

कम जमीन वाले किसानों के लिए वरदान है सहफसली खेती, जानिए केले की फसल के साथ किस फसल की करें खेती

सहफसली खेती का मतलब है एक ही खेत में एक साथ दो या अधिक फसलें उगाना. इसमें मुख्य फसल की पंक्तियों के बीच जल्दी बढ़ने और पकने वाली सहफसलें बोई जाती हैं. रबी या खरीफ के मौसम में मुख्य फसलों के साथ सहफसलें लगाने से न केवल कुल उत्पादन में वृद्धि होती है, बल्कि विपरीत परिस्थितियों में नुकसान की संभावना भी कम हो जाती है.

पूरी र‍िपोर्ट

केले की फसल में Crop Cover क्यों जरूरी?

केला एक ऐसा फल है जो पूरे साल उपलब्ध रहता है। केला अपने अच्छे स्वाद और ज़्यादा महंगा न होने की वजह से सभी को पसंद होता है। हमारे यहाँ तो केले के पौध की पूजा की जाती है शायद यही कारण है कि आपको केले की फसल लगभग हर राज्य में देखने को मिल जाएगी लेकिन ज़्यादा उत्पादन की बात करें तो कुछ ही प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। केले की खेती में किसान अगर कुछ बातों का ध्यान रखें तो अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। जिनमें पौध की क्वालिटी, खेत की तैयारी और पौधों की देख भाल हैं।

पूरी र‍िपोर्ट

अच्छी पैदावार के लिए 10 अप्रैल तक कर सकते हैं गन्ने की बुवाई, किसान इन बातों का भी रखें ध्यान

जिन किसानों ने अभी तक गन्ना नहीं बोया है और बोना चाहते हैं लेकिन उन्हें लगता है कि समय निकल गया है तो ऐसा नहीं है, आपके पास अभी भी समय है। उत्तर प्रदेश के धुरंधर गन्ना किसान अमर सिंह कहते हैं कि गन्ना बोने का सबसे उपयुक्त समय 15 मार्च से 10 अप्रैल तक है। वो करीब 40 एकड़ में जूस वाले गन्ने की खेती करते हैं। वो अपने तरीके से खेती करके प्रति एकड़ 600-800 क्विंटल की पैदावार लेते हैं।किसान अमर सिंह ने किसानों से समय पर बुवाई के अलावा अच्छी उपज लेने के लिए खेत की तैयारी, बीज की किस्म आदि बातों पर ध्यान देने को कहा है।

पूरी र‍िपोर्ट

मखाना बोर्ड के गठन से किसानों को मिलेगा लाभ, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे: कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा

बिहार के उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने अधिकारियों के साथ मखाना बोर्ड के गठन की प्रगति की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि मखाना बोर्ड के गठन की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के लिए केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से बात की जाएगी। मंत्री ने कहा कि मखाना बोर्ड के बजट का 50% हिस्सा मखाना उत्पादन से जुड़े घटकों के लिए उपयोग किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इससे राज्य में मखाना की खेती को बढ़ावा मिलने से किसानों को लाभ तो होगा ही साथ-साथ मखाना उद्योग का पूरा इकोसिस्टम भी मजबूत होगा, जिससे राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

पूरी र‍िपोर्ट
रबी सीजन

60% गेहूं क्षेत्र जलवायु अनुकूल किस्मों के तहत बोया गया: राज्यसभा में सरकार का बयान

सरकार के अनुसार, रबी सीजन के दौरान बोए गए गेहूं के 60 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में जलवायु-अनुकूल किस्में उगाई गई हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने विभिन्न मौसम स्थितियों के अनुकूल 114 किस्में विकसित की हैं, जो बढ़ते तापमान के बावजूद उपज में वृद्धि करती हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का गेहूं उत्पादन 2024-25 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में रिकॉर्ड 1154.30 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले वर्ष यह 1132.92 लाख टन था।

पूरी र‍िपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

किसानों को DAP की बोरी 1350 रूपये में मिलेगी: सरकार

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खरीफ सीजन 2025 के लिए फॉस्फेटिक और पोटासिक उर्वरकों पर 37,216 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को सस्ती कीमतों पर मिट्टी के पोषक तत्व मिलें। सब्सिडी का उद्देश्य डीएपी जैसे उर्वरकों की मौजूदा खुदरा कीमतों को बनाए रखना है। यह कदम अंतर्राष्ट्रीय मूल्य रुझान के आधार पर पोषक तत्वों की उपलब्धता का समर्थन करता है।

पूरी र‍िपोर्ट