अफीम खेती

मध्यप्रदेश, राजस्थान और यूपी के 1.21 लाख किसानों को मिलेगा अफीम खेती का लाइसेंस

सरकार ने 2025-26 के लिए अफीम खेती की नई लाइसेंसिंग नीति जारी की है। इस बार 1.21 लाख किसान शामिल होंगे, जो पिछले साल से 23.5% ज्यादा है। अच्छे उत्पादन वाले किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा, जबकि कम उत्पादन वालों के लाइसेंस निलंबित होंगे।

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खाद्य मंत्री

एथेनॉल उत्पादन बढ़ाएं, निर्यात पर करें फोकस: खाद्य मंत्री

खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चीनी मिलों से एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने और इसे निर्यात के लिए तैयार करने पर जोर दिया है। सरकार ने भरोसा दिलाया कि किसानों, उपभोक्ताओं और मिलों तीनों के हितों को ध्यान में रखकर फैसले होंगे। इस बीच, गन्ना किसानों का 99% से ज्यादा बकाया चुकाया जा चुका है और पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण 20% तक पहुंच गया है, जिससे बड़ी विदेशी मुद्रा की बचत हुई है।

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शिवराज सिंह चौहान

शिवराज सिंह चौहान का आश्वासन, किसानों तक लगातार पहुँचेगी खाद-यूरिया

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सतना दौरे पर किसानों को भरोसा दिलाया कि खाद और यूरिया की पर्याप्त आपूर्ति जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि पिछले साल जहां 23,585 मीट्रिक टन यूरिया की खपत हुई थी, वहीं इस साल अब तक 27,700 मीट्रिक टन यूरिया ज़िले में पहुँच चुका है। अच्छी बारिश और धान की अधिक बुआई से मांग बढ़ी है, लेकिन सरकार निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित कर रही है।

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लगातार बारिश

लगातार बारिश ने डुबो दी अगेती सब्ज़ी की खेती, लागत निकालना भी मुश्किल

इस बार की लगातार बारिश ने अगेती सब्ज़ियों की खेती को बुरी तरह प्रभावित किया है। किसानों का कहना है कि फसल सड़ गई, फंगस लग गया और कई जगह पूरी तरह बर्बाद हो गई है। हालत यह है कि लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और पश्चिमी यूपी के किसान सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं, जिससे सब्ज़ियों के दाम बढ़ने की आशंका है।

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कश्मीर सेब किसानों के लिए खुशखबरी

कश्मीर सेब किसानों के लिए खुशखबरी: बड़गाम से दिल्ली तक रोज़ाना पार्सल ट्रेन, सीधे बाजारों तक पहुँचेगी ताज़ा फसल

कश्मीर घाटी से सेब अब रोज़ाना पार्सल ट्रेन के ज़रिए बड़गाम से दिल्ली भेजे जाएंगे, हर ट्रेन में 180 मीट्रिक टन तक की खेप पहुँचेगी। इस सुविधा से किसानों को सीधे बाज़ार तक पहुंचकर बेहतर दाम मिलेंगे। रेलवे की यह पहल घाटी की अर्थव्यवस्था और बागवानी दोनों के लिए बड़ा सहारा साबित होगी।

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खरीफ सीजन

धान की खेती पर संकट: क्षेत्रफल बढ़ा, लेकिन पैदावार में गिरावट की आशंका

इस साल खरीफ सीजन में धान उत्पादन घटकर 120-121 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह 121.85 मिलियन टन था। ज्यादा बारिश, बाढ़ और यूरिया की कमी से नुकसान हुआ है। क्षेत्रफल 5% बढ़ने के बावजूद पंजाब और तेलंगाना जैसे राज्यों में गिरावट की आशंका है, हालांकि यूपी और पश्चिम बंगाल में अच्छी पैदावार की उम्मीद है।

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खरीफ रिपोर्ट

मध्य प्रदेश खरीफ रिपोर्ट: मक्का 13% और उड़द 40% बढ़े, अन्य फसलों में गिरावट

मध्य प्रदेश में इस खरीफ सीजन में 23% अधिक बारिश के बावजूद कुल रकबा 1% घटा है। सोयाबीन, कपास और बाजरा जैसी फसलों का क्षेत्र घटा, जबकि किसानों ने मक्का और उड़द की बुवाई बढ़ाई। मक्का का रकबा 13% और उड़द का 40% बढ़ा है, जिससे कुछ राहत की उम्मीद है।

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सितंबर तय करेगा खरीफ की पैदावार

सितंबर तय करेगा खरीफ की पैदावार, अस्थिर मौसम से महंगाई का खतरा: क्रिसिल रिपोर्ट

क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल खरीफ फसलों पर भारी बारिश और बाढ़ का बड़ा असर पड़ा है। पंजाब और राजस्थान सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं, जहाँ धान, गन्ना, कपास और दलहनों को नुकसान हुआ है। धान और गन्ने की पैदावार 5-10% और कपास की 15-20% तक घट सकती है। राजस्थान में बाजरा, ज्वार और सोयाबीन जैसी फसलें डूबीं, जबकि दक्षिणी राज्यों में असर सीमित रहा। रिपोर्ट ने चेताया है कि अगर सितंबर की बारिश अस्थिर रही तो खाद्य आपूर्ति पर दबाव और महंगाई दोनों बढ़ सकते हैं।

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उत्तर प्रदेश में खरीफ सीजन में बंपर पैदावार की उम्मीद

उत्तर प्रदेश में खरीफ सीजन में बंपर पैदावार की उम्मीद, खेती का क्षेत्र 14 लाख हेक्टेयर बढ़ा

इस खरीफ सीजन में उत्तर प्रदेश में बंपर पैदावार की उम्मीद है, क्योंकि खेती का क्षेत्र पिछले साल से 14 लाख हेक्टेयर बढ़कर 138.40 लाख हेक्टेयर हो गया है। धान और बाजरा में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है, जबकि गन्ने का रकबा थोड़ा घटा है। दलहन और तिलहन की बुवाई भी बढ़ी है। मौसम लगभग सामान्य रहा और पश्चिमी यूपी में अच्छी बारिश से फायदा मिला है। मार्केटिंग सुधार और बेहतर दाम के कारण किसान अब विविध फसलों की ओर भी रुख कर रहे हैं।

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FPO

एफपीओ की संख्या बढ़ी, लेकिन आर्थिक मदद और सहयोग की जरूरत: रिपोर्ट

भारत में 44,000 से ज्यादा एफपीओ बने हैं, जिन्होंने किसानों को ताकत दी है, लेकिन ज़्यादातर पूंजी, कुशल संसाधन और प्रबंधन की कमी से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि उन्हें टिकाऊ बनाने के लिए वित्तीय मदद और संस्थागत सहयोग ज़रूरी है।

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