केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2025-26 के मार्केटिंग सेशन के लिए कच्चे जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाकर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जिससे किसानों को उत्पादन लागत पर 66.8% रिटर्न मिलेगा। पिछले सीज़न के 5,335 रुपये की तुलना में, इस बढ़ोतरी का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना है। इसके अलावा केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत देश में प्राप्त उपलब्धियों को स्वीकारते हुए इसे अगले पांच वर्षों तक जारी रखने को मंजूरी दी है।
कच्चे जूट के MSP में 315 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी
कच्चे जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाये जाने पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि, ये कदम किसानों को उत्पादन की औसत लागत पर 66.8% रिटर्न सुनिश्चित करता है। 2024-25 के मार्केटिंग में MSP 5,335 रुपये प्रति क्विंटल था, इसमें इस बार 315 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने कहा कि, ये निर्णय पिछले कुछ वर्षों में कच्चे जूट के MSP में लगातार वृद्धि का प्रतीक है। 2014-15 में MSP 2,400 रुपये प्रति क्विंटल थी। 5,650 रुपये प्रति क्विंटल का नवीनतम आंकड़ा पिछले दशक में 2.35 गुना वृद्धि दर्शाता है, जो किसानों की आय में सुधार के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। MSP वृद्धि कृषि क्षेत्र को समर्थन देने और ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने के लिए सरकार की व्यापक रणनीति के अनुरूप भी है।
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NHM को पाँच साल और बढ़ाया गया
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को अगले पांच वर्षों तक जारी रखने की मंजूरी दे दी। केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पत्रकार वार्ता में मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, स्वास्थ्य मिशन के तहत देश ने कई ऐतिहासिक लक्ष्य हासिल किए हैं। इससे देशभर में करीब 12 लाख स्वास्थ्यकर्मी जुड़े हैं। कोविड के भयावह काल का सामना करने में मिशन ने बड़ी भूमिका निभाई है और देश को 2.20 अरब कोविड टीके लगाए तथा सर्टिफिकेट बांटे गए हैं।
प्रेस रिलीज़ के अनुसार मंत्रिमंडल को वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्रगति से अवगत कराया गया। मंत्रिमंडल को मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, मृत्यु दर और कुल प्रजनन दर में त्वरित गिरावट तथा टीबी, मलेरिया, कालाजार, डेंगू, तपेदिक, कुष्ठ रोग, वायरल हेपेटाइटिस आदि जैसे विभिन्न रोगों के कार्यक्रमों के संबंध में प्रगति और राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन जैसी नई पहलों से भी अवगत कराया गया।
क्या है NRHM?
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत 2005 में की गई थी, जिसका उद्देश्य जिला अस्पताल (डीएच) स्तर तक ग्रामीण आबादी, विशेष रूप से कमजोर समूहों को सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण करना था। वर्ष 2012 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन की अवधारणा बनाई गई और एनआरएचएम को दो उप-मिशनों यानी एनआरएचएम और एनयूएचएम के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के रूप में पुनः नामित किया गया।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।