चित्रकूट, बुंदेलखंड। उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में फैला बुंदेलखंड भारत के सबसे ज़्यादा सूखा ग्रस्त इलाक़ों में से एक है, पानी की कमी, बदलते मौसम की मार, बंजर ज़मीनें यहाँ के किसानों की सबसे बड़ी समस्या है। लेकिन चित्रकूट ज़िले के मऊ तहसील में रहने वाले किसान इंद्र कुमार मौर्य की खेती में सफलता कुछ और कहानी कहती है।
इंद्र कुमार मौर्य ने आई टी आई की पढ़ाई की उसके बाद उन्होंने टाटा मोटर्स में 8 महीने नौकरी की, नौकरी में मन नहीं लगा तो वो घर वापिस आ गये और अपने पिता के साथ मिलकर नयी तकनीक से खेती शुरू की जिससे खेती में उन्हें अच्छा मुनाफ़ा मिला और क्षेत्र में उनका नाम भी हो गया।
खेती में तकनीक का प्रयोग
पानी बुंदेलखंड के किसानों की सबसे बड़ी समस्या है इससे निपटने के लिए इंद्र कुमार ने ड्रिप इरीगेशन को अपनाया। इस तकनीक में पानी सीधा पौध की जड़ो में जाता है जिससे पानी की ख़ासा बचत होती है, इस तकनीक के उपयोग से वो अपने खेती के बड़े हिस्से का पूरा इस्तेमाल कर पा रहे हैं।
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करेले की खेती
किसान इंद्र कुमार 3.5 बीघा में करेले की खेती करते हैं और बाक़ी के हिस्से में अन्य सब्ज़ियों की न्यूज़ पोटली से की गई बातचीत में वो बताते हैं कि, “पहले हमारी सालाना कमाई सिर्फ़ 2.5 लाख रुपये थी लेकिन जब से करेले की खेती शुरू की है उनकी कमाई बढ़ के 4 लाख रुपये हो गई है।”
शानदार क्वालिटी होने की वजह से इनके करेले की डिमांड अब दूसरे ज़िलों में भी हो रही है, स्थानीय किसान और व्यापारी इन्हें “करेला किंग” कहकर बुलाते हैं।
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