भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है। गुजरात के मधुसूदन भोर टिशु कल्चर तकनीक से आलू की खेती से मोटी कमाई कर रहे हैं। 2024 में उन्होंने 10 एकड़ में आलू की खेती से करीब 38 लाख रुपये की कमाई की। उन्होंने आलू की पारंपरिक खेती छोड़कर हाईटेक तरीका अपनाया और अब उन्हें बंपर पैदावार मिल रही है।
मधुसूदन भोर पुणे जिले के रांजनी गांव में रहते हैं। वो पिछले 7 साल से खेती कर रहे हैं। पहले वो गन्ने की खेती करते थे। उनके पास 15 एकड़ जमीन है, जिसमें 4 एकड़ में केला, 1 एकड़ में गेहूं और 10 एकड़ में आलू लगाया था।
मधुसूदन बताते हैं कि, उन्होंने दो साल पहले आलू की खेती शुरू की। शुरुआत में वो पारंपरिक तरीके से आलू उगाते थे, लेकिन जब उनके मामा ने टिशु कल्चर आलू की खेती के बारे में बताया, तो उन्होंने टिशु कल्चर आलू लगया। टिशु कल्चर आलू एक तरह से बिना मिट्टी के हवा में तैयार किए हुए बीज होते हैं। ये बीज रोगमुक्त और जेनेटिक रूप से शुद्ध होते हैं।
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टिशु कल्चर आलू की फसल से कमाई
मधुसूदन बताते हैं कि, इस साल प्रति एकड़ लगभग 17 टन आलू की पैदावार हुई है। उन्हें आलू का दाम 24 रुपये प्रति किलो मिला, जिससे प्रति एकड़ लगभग 3 लाख 80 हजार रुपये की कमाई हुई। 10 एकड़ आलू की खेती से 38 लाख रुपये की कमाई हुई।
आलू की बुआई का सही समय
मधुसूदन पहले वे बाजार से आलू के बीज खरीदते थे, जिसमें अधिक मात्रा में बीज लगाने के बावजूद उत्पादन कम होता था। टिशु कल्चर में उत्पादन अच्छा होता है, इसलिए उन्होंने जैन कंपनी का टिशु कल्चर बीज लगाया। मधुसूदन कहते हैं कि, सितंबर के पहले हफ्ते में टिशू कल्चर एयर बीज की बुआई की जाती है, जो नवंबर के आखिरी हफ्ते तक तैयार हो जाता है। एक एकड़ की बुआई में करीब एक टन बीज लगता है।
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फसल की सिंचाई
टिशु कल्चर के बीज बोने के बाद सिंचाई के लिए उन्होंने ड्रिप सिस्टम का उपयोग किया। ड्रिप सिस्टम से पौधों को समान रूप से पानी मिलता है, और कम पानी में भी खेती हो जाती है। अगर फ्लड विधि से सिंचाई की जाए, तो पानी अधिक मात्रा में पौधों तक पहुंचता है, जिससे पौधों के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।
टिशु कल्चर आलू के बीज विक्रेता महेंद्र भोर बताते हैं कि, पहले जो बीज बाजार में उपलब्ध होते थे, वो छोटे आकार के होते थे, और एक एकड़ में 5-6 कुंटल बीज लगाने के बाद भी उत्पादन कम होता था। 2021 में पहली बार जैन कंपनी का टिशु कल्चर बीज लगाया। पारंपरिक बीज से जहां एक एकड़ में 100-150 बोरियां आलू की पैदावार होती थी, वहीं टिशु कल्चर बीज से 250-300 बोरियां आलू की पैदावार होने लगी।
भारत वैश्विक आलू उत्पादन में दूसरे स्थान पर है, जबकि हर साल चीन 207.2 मिलियन टन की आलू उत्पादन के साथ पहले स्थान पर है। भारत हर साल 53.7 मिलियन टन आलू उत्पादन करता है। भारत और चीन मिलकर विश्व के कुल 36% आलू उत्पादन करते हैं। कृषि और किसान कल्याण विभाग के अनुसार, भारतीय किसानों ने 2022-23 में 23.46 लाख हेक्टेयर भूमि पर आलू की बुवाई की, जिससे 597 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ।