बजट 2024-25: फसल की 32, बागवानी की 109 नई किस्में बहुत जल्‍द, किसानों को मौसम की मार से बचाने की जुगत

बजट 2024-25, कृष‍ि क्षेत्र

बजट वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में कृषि और उससे संबंध‍ित क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि कृषि सरकार का मुख्य एजेंडा है। अगले दो वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार प्रमाणन और ब्रांडिंग के मामले में उनका समर्थन करेगी। योजना को वैज्ञानिक संस्थानों और इच्छुक ग्राम पंचायतों के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा, जिसके लिए 10,000 जरूरत-आधारित जैव-इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

अपने भाषण के दौरान उन्‍होंने आगे कहा कि जलवायु-अनुकूल बीज विकसित करने के लिए अनुसंधान की व्यापक समीक्षा भी की जाएगी। 100-दिवसीय कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, 32 फसलों और बागवानी फसलों में 109 नई बीज किस्में जल्द ही जारी की जाएंगी। “हमारी सरकार उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु-अनुकूल किस्मों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कृषि अनुसंधान व्यवस्था की व्यापक समीक्षा करेगी।

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नई घोषणाओं में पांच राज्यों में जन समर्थ आधारित किसान क्रेडिट कार्ड, झींगा पालन और निर्यात के लिए नाबार्ड के माध्यम से वित्त पोषण और झींगा ब्रूडस्टॉक्स के लिए न्यूक्लियस प्रजनन केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। सीतारमण ने कहा कि सरकार देश के समग्र विकास के लिए राष्ट्रीय सहयोग नीति पेश करेगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को तेज करना और रोजगार के अवसरों का सृजन नीतिगत लक्ष्य होगा।

2024-25 का बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र राज्यों के साथ साझेदारी में कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देगा। अगले तीन वर्षों में छह करोड़ किसानों और उनकी भूमि का विवरण रजिस्ट्री में दर्ज किया जाएगा। चालू खरीफ सीजन से 400 जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण किया जाएगा। सरकार बाजार में फलों और सब्जियों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है।

बड़े पैमाने पर सब्जी क्लस्टर प्रमुख उपभोग केंद्रों के करीब विकसित किए जाएंगे। उन्होंने कहा, “हम संग्रह, भंडारण और विपणन सहित सब्जी आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए किसान-उत्पादक संगठनों (एफपीओ), सहकारी समितियों और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देंगे।” उन्होंने दलहन और तिलहन उत्पादन के लिए मिशन को भी दोहराया, जिसमें देश को सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की रणनीति शामिल है।

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