बिहार सरकार राज्य में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए ‘कॉरिडोर आधारित परियोजना’ चला रही है। इसे राज्य के 13 जिले में लागू किया गया है । इसके तहत टिकाऊ खेती, मिट्टी की गुणवत्ता, जैविक उर्वरक के उपयोग और रोजगार के अवसर बढ़ाने पर बल दिया गया है। किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिले इसके लिए हर साल जिला स्तर पर कम से कम 03 क्रेता-विक्रेता बैठक आयोजित किए जाते हैं।
बिहार के उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि जैविक कोरिडोर योजना के तहत किसानों एवं किसान समूहों द्वारा जैविक खेती की जा रही है। इन सभी किसानों को प्रथम वर्ष का सी॰-1 प्रमाण-पत्र बिहार स्टेट सीड एण्ड ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी (बसोका) द्वारा निर्गत किया जा चुका है। इच्छुक व्यक्तिगत किसानों को जैविक खेती के प्रोत्साहन हेतु 11,500 रूपये प्रति एकड़ अनुदान का प्रावधान किया गया है। प्रति किसान को अधिकतम 2.5 एकड़ के लिए अनुदान दिया जाता है।
मार्केटिंग और ब्रांडिंग, मिट्टी के नमूना की जाँच, प्रमाणीकरण हेतु दस्तावेजीकरण, परिवहन, प्रशिक्षण, जैविक क्षेत्र में ई-कॉमर्स/स्टार्ट-अप इनोवेशन के लिए सहायता दी जाती है। सी॰-1 प्रमाण-पत्र प्राप्त सभी किसानों को द्वितीय वर्ष का सी॰-2 प्रमाण-पत्र निर्गत की प्रक्रिया चल रही है। कृषि विभाग के अंतर्गत कार्यरत बिहार स्टेट सीड एण्ड ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी द्वारा राज्य में किये जा रहे हैं।
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बिहार राज्य जैविक मिशन का गठन
सिन्हा ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार राज्य जैविक मिशन का गठन किया गया है। राज्य में बसोका के अधीन एक आदर्श जैविक प्रक्षेत्र की स्थापना फतुहा (पटना) स्थित औद्योगिक क्षेत्र में किया गया है। इस प्रक्षेत्र के अंतर्गत राज्य के किसान जैविक खेती के प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त करेंगे। इसी तरह पीएम मोदी की NDA सरकार की बहुप्रशंसित ‘नमामि गंगे योजना’ के अंतर्गत भी 12 जिले के 700 किसान समूहों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
सभी 38 जिलों में चलायी जा रही जैविक खेती प्रोत्साहन योजना
उन्होंने कहा कि सभी 38 जिलों में जैविक खेती प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत किसानों को पक्का वर्मी कम्पोस्ट इकाई, गोबर/बायो गैस तथा व्यवसायिक वर्मी कम्पोस्ट निर्माण इकाई योजनाएँ चलाई जा रही है। जैविक खेती के उत्पादों में रसायनों एवं पेस्टीसाईड की मात्रा न के बराबार होती है, जिससे मनुष्यों, पशुओं एवं पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। यह मनुष्यों में कैंसर, ह्रदय रोग एवं प्रजनन संबंधी बीमारियों की संभावनाओं को कम करता है।
सिन्हा ने कहा कि यह सरकार की एक अहम और महत्त्वकांक्षी योजना है। हमने जैविक खेती से जुड़े किसानों को निरन्तर जैविक खेती करने के लिए समय-समय पर किसान चौपाल, सेमिनार एवं प्रशिक्षण के माध्यम से क्षमता संवर्द्धन कराने का निदेश भी दिया है। साथ ही किसानों के जैविक उत्पाद के विपणन एवं ब्रांडिंग की व्यवस्था करने भी बनाई जाएगी। जैविक कृषि किसानों के लिए आर्दश पद्धति है। जिसके द्वारा किसानों की फसलों के उत्पादन/उत्पादकता में बढ़ोतरी मृदा की गुणवत्ता में सुधार एवं पर्यावरण अनुकूल कृषि का आधार है। ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों को रोकने में सहायक होता है।
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