बिहार ने शहद उत्पादन में तेजी दिखाई है और 2023-24 में 18,030 मीट्रिक टन से अधिक उत्पादन कर देश का चौथा सबसे बड़ा शहद उत्पादक राज्य बन गया। इससे हजारों लोगों को रोजगार और बेहतर आजीविका मिली है। लीची, सरसों, महुआ और जामुन की फसलों से उच्च गुणवत्ता वाला शहद तैयार होता है। सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं और 75–90% अनुदान से मधुमक्खी पालन में नए किसान भी जुड़ रहे हैं।
पिछले दो दशकों में बिहार ने शहद उत्पादन के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। जहाँ 2005 से पहले राज्य में शहद का उत्पादन बेहद कम था, वहीं अब साल 2023-24 में यह बढ़कर 18,030 मीट्रिक टन से अधिक हो गया है। इस उपलब्धि के साथ बिहार देश का चौथा सबसे बड़ा शहद उत्पादक राज्य बन गया है।
राज्य में लगातार बढ़ते शहद उत्पादन से न सिर्फ हजारों लोगों को रोजगार मिला है, बल्कि उनकी आजीविका और जीवन स्तर में भी सुधार आया है। सरकार की प्रोत्साहन योजनाएँ, वनों की विविधता, अनुकूल जलवायु और कृषि-वैज्ञानिक संस्थानों का सहयोग इस वृद्धि में अहम रहा है।
इन जिलों में ज़्यादा उत्पादन
बिहार के विभिन्न जिलों जैसे दरभंगा, मधुबनी, वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर और पटना में शहद उत्पादन बड़े पैमाने पर हो रहा है। खासकर सरसों, लीची, महुआ और जामुन की फसलों से शहद की गुणवत्ता और स्वाद बेहतरीन माने जाते हैं। बिहार का लीची शहद देशभर में लोकप्रिय है और विदेशों में भी इसकी अच्छी मांग है। वहीं, औरंगाबाद और रोहतास जिलों में तिल से शहद उत्पादन विशेष रूप से किया जाता है।
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सरकार का सहयोग और प्रशिक्षण
राज्य सरकार मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है। एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत किसानों को मधुमक्खी बक्से, मोम निकालने की मशीन, हनी एक्सट्रैक्टर और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है। मधुमक्खी पालन के लिए किसानों को 75 से 90 प्रतिशत तक का अनुदान भी दिया जाता है, जिससे नए और छोटे किसान भी इस क्षेत्र में जुड़ सकें। यही वजह है कि बिहार का शहद उत्पादन तेज़ी से बढ़ा है और यह राज्य अब देश के प्रमुख शहद उत्पादक क्षेत्रों में शामिल हो गया है।
ये देखें-
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।