बाराबंकी (उत्तरप्रदेश) अगैती सब्जियां और फल हमेशा मार्केट में अच्छे रेट पर बिकती हैं। प्रगतिशील किसान और मंडी के आढ़ती सब कहते हैं कि अगैती फसलें ( फलों और सब्जियों ) ने ज्यादातर किसानों को मुनाफा दिया है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में रहने वाले मयंक वर्मा ऐसे ही एक किसान हैं जो तरबूज की खेती से अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं। तरबूज के साथ मयंक फ्रेंच बीन्स, टमाटर, गोभी, मूली की भी खेती करते हैं।

न्यूज़ पोटली से की गई बातचीत में मयंक बताते हैं कि वो पिछले 5 सालों से तरबूज की खेती करते आ रहे हैं और लो टनल में तरबूज की खेती पिछले 2 सालों से करते आ रहे हैं। पिछले सालों में तरबूज की खेती में मुनाफे को देखते हुए उन्होंने इस साल इसकी खेती का रकबा बढ़ाया है।
क्या है लो टनल फ़ार्मिंग

लो टनल फ़ार्मिंग एक तरह का पॉलीहाउस है जिसमें खेतों में बांस या फाइबर की स्टिक्स के सहारे एक पन्नी नुमा ढांचा तैयार किया जाता है। इसमें ध्यान रखना है की पन्नी पारदर्शी होनी चाहिए जिससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित ना हो।
एक एकड़ में लो टनल लगवाने में लगभग 35 से 40 किलो स्टिकस लगती हैं। जिनकी कीमत 200 रुपये प्रति किलो होती है और 70 से 80 किलो पॉलिथीन लगती है जो बाजार में 160-170 रुपये तक मिल जाती है।
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बुवाई का समय

अगैती फसलों की बुवाई नियमित बुवाई से कुछ समय पहले की जाती है। मयंक के अनुसार तरबूज की बुवाई दिसम्बर के पहले सप्ताह में जब ठंड पड़ने लग जाए तब तक हो जानी चाहिए, लो टनल में बुवाई करने पर किसानों को खास तौर पर ध्यान देना चाहिए बुवाई अंकुरित बीज की ही करें।
तरबूज की प्रजातियाँ
मयंक ‘सरस्वती’ और ‘सागर किंग’ नाम की दो प्रजातियों की बुवाई करते हैं वो बताते हैं कि, “सागर किंग में उत्पादन प्रति एकड़ 200 से 250 क्विंटल तक होता है और मार्च के अंतिम सप्ताह से लेकर अप्रैल के शुरुवाती दिनों में इसका बाजार भाव 10 से 12 रुपये प्रति किलो मिल जाता है”।
दूसरी प्रजाति है सरस्वती इसमें उत्पादन 150-200 क्विंटल तक होता है और इसका बाजार भाव 20 से 25 रुपये प्रति किलो तक जाता है।
तरबूज का बीज 30,000 हजार रुपये प्रति किलो है और एक एकड़ में बुवाई के लिए 250 ग्राम बीज की जरूरत होती है।
बेड पर बुवाई
तरबूज की खेती बेड पर की जाती है इसमें बेड से बेड की दूरी 10 से 12 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 1.5 फीट पे करते हैं। मयंक अपने खेतों में mulching शीट भी लगवाते हैं जो 18 से 21 माइक्रान की होती है। इसमें उन्हें लगभग प्रति एकड़ 5 रोल mulching शीट लगती हैं जिसकी कीमत 7500 रुपये के करीब आती है।
फसल सुरक्षा और कीट नियंत्रण

फलों की खेती में कीटों का हमला एक मुख्य समस्या है तना गलक रस चूसक और फ्रूट फ्लाई जैसे कीटों का खतरा बना रहता है इससे बचाव के लिए IPM (एकीकृत कीट प्रबंधन) प्रणाली अपनानी चाहिए इसमें फ्रूट फली ट्रैप, फेरोमोने ट्रैप, येलो स्टिकी ट्रैप, ब्लू स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल करना चाहिए।
मयंक बताते हैं कि वो अपने खेतों में एक एकड़ में 15 15 स्टिकी ट्रैप लगाते हैं और फ्रूट फली ट्रैप 10 से 12, ध्यान रखना है की ये ट्रैप आपको आपकी फसल में फूल आने से पहले ही लगाने हैं।
हार्वेस्टिंग का समय
अगैती फसलों में किसानों के पास मार्केट में अच्छा मुनाफ़ा कमाने की एक स्पेस होती है, क्यूंकी आपकी फसल तयशुदा समय से पहले ही तैयार है।
दिसम्बर में बोया गया अगैती तरबूज की हार्वेस्टिंग मार्च के अंतिम सप्ताह में शुरू हो जाती है और फसल अच्छे भाव पर बिकती है।
खेती किसानी से जुड़ी ऐसी ही रोचक खबरों के लिए पढ़ते रहिए न्यूज़ पोटली।