
“जो धरती को सींचे, वो खुद सूखे क्यों रहे?”
यह तस्वीर महाराष्ट्र के लातूर जिले के हाडोलती गांव की है, जहां किसान अंबादास पवार खुद बैल की जगह हल खींच रहे हैं और उनकी पत्नी मुक्ताबाई पवार पीछे से हल चला रही हैं। आमदनी न होने की मजबूरी ने इस दंपती को खेत जोतने के इस पीड़ादायक तरीके पर मजबूर कर दिया है। यह दृश्य उस ‘कृषिप्रधान’ भारत पर सवाल उठाता है, जहां किसान अब भी अपने शरीर से ज़मीन जोतने को विवश है। यह तस्वीर सिर्फ़ एक दृश्य नहीं, एक मौन चीख है, जो अब भी सुनी नहीं गई।