SPECIAL REPORT: 2025 का अप्रैल बना इतिहास का दूसरा सबसे गर्म अप्रैल, क्या खतरे की घंटी बज चुकी है?

यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 पूरी दुनिया के लिए अब तक का दूसरा सबसे गर्म अप्रैल रहा।

पूरी दुनिया के लिए अप्रैल 2025 जलवायु इतिहास का अब तक का दूसरा सबसे गर्म अप्रैल का महीना था। रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2025 में वैश्विक तापमान 14.96 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया

2025 का जनवरी पिछले कई सालों की तुलना में कम ठंडा रहा है। फरवरी में ही गर्मी ने दस्तक दे दी, और मार्च में ही भारत के कई राज्यों में आंधी-तूफान के साथ बारिश हुई। अप्रैल की गर्मी ऐसी थी मानों जैसे मई-जून की तपिश। अब यूरोपियन यूनियन की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की रिपोर्ट आई है। जिसमें बताया गया है कि, पूरी दुनिया के लिए अप्रैल 2025 जलवायु इतिहास का अब तक का दूसरा सबसे गर्म अप्रैल का महीना था।

रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2025 में वैश्विक तापमान 14.96 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, ये औद्योगिक काल (1850 से 1900) से पहले की तुलना में 1.51 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। लेकिन अगर इसे 1991-2020 के बीच अप्रैल के औसत तापमान से तुलना करें तो अप्रैल 2025 में तापमान 0.6 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। यहां आपके लिए ये जानना भी जरूरी है कि, अब तक का सबसे गर्म अप्रैल 2024 में था। 2024 का अप्रैल, 2025 के अप्रैल की तुलना में महज 0.07 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

मौसमी पैटर्न में असामान्यता

आप ने शायद ध्यान दिया हो 2023 में अक्टूबर में भारत के कई राज्यों में बारिश हुई। जबकि अगस्त के आखिर से लेकर सितंबर के पहले हफ्ते तक उत्तर भारत में मॉनसून लगभग खत्म हो जाता है। 2024 में मध्य भारत ने 253 दिन चरम जलवायु घटनाएं देखीं। जबकि ये घटनाएं साल 2022 में 218 दिन थी।

जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान का असर किस कदर हमारी धरती पर हावी हो चुका है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, ये लगातार 21वां महीना है जब वैश्विक तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। मतलब की हर गुजरते महीने के साथ पूरी दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखने का लक्ष्य सिर्फ बातों और कागजों में ही सिमटता जा रहा है।

मई 2024 से अप्रैल 2025 के बीच 12 महीनों के औसत तापमान को देखें तो वो औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.58 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है। दौरान यूरोप में भी हालात बहुत अच्छे नहीं रहे। यूरोप में औसत तापमान 9.38 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से 1.01 डिग्री सेल्सियस अधिक था। आंकड़ों की मानें तो पिछले महीना यूरोप का छठा सबसे गर्म अप्रैल का महीना था।

पूर्वी यूरोप, पश्चिमी रूस, नार्वे और कजाकिस्तान में तापमान सामान्य से काफी ऊपर रहा, जबकि दूसरी तरफ तुर्की, बुल्गारिया, रोमानिया और उत्तरी स्कैंडिनेविया में कुछ इलाकों में सामान्य से अधिक ठन्डे रहे।

उबल रहा है समंदर

धरती का तापमान बढ़ रहा तो स्वभाविक है समंदर का तापमान भी बढ़ेगा ही। अप्रैल में भूमध्य रेखा के दोनों तरफ समंदर का औसत तापमान 20.89 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया है। मतलब की ये दूसरा मौका है, जब अप्रैल में समंदर का औसत तापमान इतना ज्यादा दर्ज किया गया है।

चरम जलवायु घटनाएं

ध्रुवों पर जमी बर्फ बर्फ धीरे-धीरे पिघल रही ये हम सभी जानते हैं। अप्रैल 2025 में आर्कटिक में जमा समुद्री बर्फ सामान्य से तीन फीसदी कम रही। ये पिछले 47 सालों में अप्रैल के लिए छठा सबसे कम स्तर है। इससे पहले लगातार चार महीने बर्फ का स्तर रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहा। इस दौरान बारेंट्स सागर और ओखोत्स्क सागर में बर्फ सबसे कम रही, जबकि ग्रीनलैंड सागर में सामान्य से ज्यादा बर्फ रिकॉर्ड की गई। वहीं अंटार्कटिका में जमा समुद्री बर्फ की हालत को देखें तो वो सामान्य से 10 फीसदी कम रही, जो अप्रैल के लिए अब तक का दसवां सबसे कम स्तर है।

Extreme weather events का सबसे बड़ा भुग्तभोगी कृषि क्षेत्र है। उसमें भी सबसे बड़ा नुकसान छोटे किसानों को हो रहा है। करीब 50 फीसदी छोटे किसानों की उपज जलवायु परिवर्तन की वजह से घट गई है। ऐसा माना जा रहा क्लाइमेट चेंज कीवजह से 2050 तक धान की पैदावार 20% और गेहं की उपज में 19 फीसदी तक की गिरावट आ जाएगी, जबकि मक्के उत्पादन 18% तक कम हो जाएगा।

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