उत्तर भारत में बढ़ते तापमान के बीच पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों और पशुपालकों के लिए जारी की एडवाइजरी

दिन प्रतिदिन गर्मी बढ़ती जा रही है, खासकर उत्तर भारत में तापमान तेजी से बढ़ रहा है। अप्रैल की शुरुआत में ये हाल है तो मई-जून में क्या होगा? मौसम विभाग भी हर दिन हीट वेव अलर्ट जारी कर रहा है। इस गर्मी से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लगातार बढ़ती गर्मी से फसलों और जानवरों को काफी नुकसान हो रहा है। ऐसे में किसानों और पशुपालकों के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने एडवाइजरी जारी की है।

आपको बता दें कि अप्रैल महीने के पहले ही हफ्ते में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से चार से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है। वहीं, पीएयू के कृषि मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रमुख डॉ. पी के किंगरा ने आने वाले दिनों के दौरान तापमान में दो से चार डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने की संभावना जतायी है। समय से बोई गई रबी की फसलें पकने के करीब हैं। लेकिन, उच्च तापमान के कारण देर से बोई गई फसलें गर्मी और पानी की बढ़ती मांग से प्रभावित हो सकती हैं। ऐसे में कृषि मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रमुख ने गर्मी और फसलों में पानी की कमी को रोकने के लिए फसलों की उचित निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने किसानों को फसलों को समय-समय पर जरूरत के हिसाब से हल्की सिंचाई करने की सलाह दी है। 
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सिंचाई कर नमी बनाए रखें
फलों की बागवानी करने वाले बागवानों को बढ़ती गर्मी से उपज को बचाने के लिए सिंचाई कर नमी बनाए रखने की सलाह दी है। इसके अलावा छोटे पौधों पर गर्मी का असर कम करने के लिए पुआल की मल्चिंग मददगार साबित हो सकती है। पशुपालकों के लिए उन्होंने सलाह दी है कि जानवरों, खासकर विदेशी नस्लों की गायों के लिए कूलर या पंखे की व्यवस्था भी की जा सकती है। गर्मी में पशुधन प्रबंधन पर डॉ. किंगरा ने पशुपालकों को सलाह दी की गर्मी के असर और पशुओं में पानी की कमी से बचने के लिए जानवरों को लगातार पानी की उपलब्धता और पौष्टिक आहार के साथ घर के अंदर रखें। पशुओं के शरीर का सही तापमान बनाए रखने और गर्मी का प्रभाव कम करने के लिए समय-समय पर जानवरों को नहलाएं।

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