सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया(SOPA) ने सरकार से भारत-अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता के दौरान भारतीय सोयाबीन उद्योग के हितों की रक्षा करने का अनुरोध किया है। उन्होंने सोयाबीन उत्पादों पर मौजूदा आयात शुल्क को बनाए रखने और वैल्यू एडेड सोया उत्पादों के लिए रियायती शुल्क व्यवस्था की संभावना तलाशने का सुझाव दिया है। इसके अलावा SOPA ने केंद्र से भारत से ऑर्गेनिक सोयाबीन भोजन के आयात पर अमेरिका की ओर से लगाए गए 283.91 परसेंट के भारी शुल्क को कम करने में दखल देने का भी आग्रह किया, जिसने भारतीय निर्यातकों को गंभीर रूप से परेशान किया है।
आपको बता दें कि भारत सोयाबीन के टॉप पांच वैश्विक उत्पादकों में से एक है, जिसका अनुमानित उत्पादन 2023-24 वित्तीय वर्ष में लगभग 130 लाख टन है। यह घरेलू उत्पादन न केवल घरेलू खपत को पूरा करता है, बल्कि निर्यात भी होता है। वहीं अमेरिका की बात करें तो, वह सोयाबीन और इसके प्रोडक्ट का एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक भी है। अमेरिका में लगभग 3 टन प्रति हेक्टेयर सोयाबीन की उपज होती है, जबकि भारत की औसत उपज 1.2 टन प्रति हेक्टेयर है।
ये भी पढ़ें – पिछले दस वर्षों में कुल 2900 जलवायु-अनुकूल उच्च उपज वाली फसलें विकसित की गईं : सरकार
सोयाबीन किसानों और उससे जुड़े उद्योगों पर होगा इसका असर
SOPA के अध्यक्ष के मुताबिक़ मौजूदा आयात शुल्क को कम करने से सस्ते आयातों की बाढ़ आ सकती है, जिससे भारत का घरेलू सोयाबीन उत्पादन कमजोर हो जाएगा। इस तरह के कदम से लगभग 1 करोड़ सोयाबीन किसानों और उससे जुड़े उद्योगों की आजीविका प्रभावित होगी, जिससे भारत के कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियां और बढ़ जाएंगी।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कृषि उत्पादों, विशेष रूप से सोयाबीन, जहां हमारी उपज अमेरिका की तुलना में बहुत कम है, उसके आयात को रियायती शुल्क पर अनुमति देना खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता पाने के हमारे लक्ष्य के लिए एक बड़ा झटका होगा। इससे राष्ट्रीय खाद्य तेल (तिलहन) मिशन में भी मदद नहीं मिलेगी।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।