उत्तराखंड। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में विधानसभा में उत्तराखंड भू-कानून संशोधन विधेयक 2025 पारित कर दिया गया है। इस नए कानून के तहत, राज्य से बाहर के लोग अब हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिलों को छोड़कर, बाकी 11 जिलों में कृषि और बागवानी की भूमि नहीं खरीद सकेंगे।
मुख्यमंत्री धामी ने विधेयक पेश कर कहा कि ये कानून राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक विरासत और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा। उन्होंने बताया कि ये निर्णय जनभावनाओं का सम्मान करते हुए लिया गया है और प्रदेश के भूमि संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही, वर्ष 2018 में त्रिवेंद्र सरकार द्वारा 12.50 एकड़ से अधिक भूमि खरीदने के प्रावधान को भी समाप्त कर दिया गया है।
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इस व्यवस्था के तहत, राज्य से बाहर के लोगों को अब घर बनाने के लिए निकाय क्षेत्रों से बाहर 250 वर्ग मीटर तक भूमि खरीद सकेंगे। हालांकि, एक परिवार का केवल एक सदस्य जीवनभर में एक बार ही भूमि खरीद सकेगा। इसके अलावा, भूमि खरीदने की प्रक्रिया अब सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से ही पूरी की जाएगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
वहीं भूमि खरीदने के संबंध में जिलाधिकारी के अधिकारों को भी सीमित कर दिया गया है। अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे सकेंगे। भूमि खरीद की अनुमति केवल सरकार द्वारा दी जाएगी। इसके अलावा, भूमि खरीद के समय यह शपथपत्र देना अनिवार्य होगा कि खरीदी गई भूमि से संबंधित व्यक्ति या उसके परिवार के किसी सदस्य ने पहले कोई भूमि नहीं खरीदी है।
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नए कानून में कृषि भूमि के उपयोग में भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी। अब कृषि भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन तभी संभव होगा, जब सरकार इसकी अनुमति देगी। इसके साथ ही, कृषि भूमि पर प्लॉटिंग करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सभी जिलाधिकारियों को अब भूमि खरीद से संबंधित रिपोर्ट नियमित रूप से राजस्व परिषद और शासन को सौंपनी होगी, जिससे प्रक्रिया की निगरानी और पारदर्शिता बढ़ेगी।
इस कानून के लागू होने से यह उम्मीद की जा रही है कि राज्य में भूमि की अंधाधुंध खरीद-फरोख्त पर रोक लगेगी और पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित होगा। इससे राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत मिलेगी और भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा।