केले की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। केले(Banana) की खेती में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इससे काफी अच्छी कमाई की जा सकती है। बिहार कृषि(agriculture department) विभाग ने केले में लगने वाले पीला सिगाटोका, काला सिगाटोका और पनामा विल्ट रोग का लक्षण और उपचार बतायें हैं।
देश में केले की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यह एक नकदी फसल है इसकी बिक्री साल के पूरे 12 महीने होती है।ऐसे में केले की खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो रही है। केले की खेती में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इससे काफी अच्छी कमाई की जा सकती है।पीला सिगाटोका रोग, पनामा विल्ट रोग और काला सिगाटोका केला के पत्तों में लगने वाले रोग हैं जो धीरे-धीरे केले के पौधों को नष्ट कर देते हैं। इसका असर केला के उत्पादन पर पड़ता है।इसलिए समय पर इसकी पहचान कर, इसका उपचारकरना जरूरी है।आइए जानते हैं केला फसल में लगने वाले तीन बड़े रोग के लक्षण और प्रबंधन के उपाय।
1.पनामा विल्ट रोग के लक्षण और उपचार
केले की फसल में पनामा विल्ट रोग का प्रभाव देखा जाता है, जो एक फंगल रोग है अचानक पूरे पौधे का सूखना या नीचे के हिस्से की पत्ती का सूखना इस रोग का प्रमुख लक्षण है। पत्तियां पीली होकर रंगहीन हो जाती है, जो बाद में मुरझाकर सूख जाती है।
उपचार
पनामा विल्ट रोग के प्रबंधन के लिए सकर को 30 मिनट तक कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यू, 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में डुबाने के बाद रोपनी करें।
कार्बेन्डाजिम 50% घु,चू, 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
केले की पत्तियां चिकनी होती है, इसलिए घोल में स्टीकर मिला देना फायदेमंद होगा।
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2.पीला सिगोटका रोग के लक्षण और उपचार
केला फसल में पीला सिगाटोका रोग का प्रभाव देखा जाता है, जो एक फंगल रोग है। इस रोग के कारण केले के नए पत्ते की ऊपरी भाग पर हल्का पीला दाग या धारीदार लाइन के रूप में दिखता है और बाद में धब्बे बड़े और भूरे रंग के हो जाते हैं, जिसका केंद्र हल्का कत्थई रंग का होता है।
उपचार
पीला सिगाटोका के प्रबंधन के लिए प्रतिरोधी किस्म के पौधे लगाएं।
खेत को खरपतवार से मुक्त रखें।
खेत से अधिक पानी की निकासी कर लें और 1 किलो ट्राईकोडरमा विरिड को 25 किलो गोबर खाद के साथ प्रति एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
3.काला सिगाटोका रोगके लक्षण और उपचार
केला फसल में काला सिगाटोका रोग का प्रभाव देखा जाता है, जो एक फंगल रोग है। इस रोग के कारण केले के पत्तियों के निचले भाग पर काला धब्बा, धारीदार लाइन के रूप में नजर आता है। ये बारिश के दिनों में अधिक तापमान होने के कारण फैलते हैं। इनके प्रभाव से केले परिपक्व होने से पहले ही पक जाते हैं। जिसके कारण किसानों को उचित फायदा नहीं मिल पाता है।
उपचार
काला सिगाटोका रोग के प्रबंधन के लिए रासायनिक फफूंदनाशी कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% घु.चू. 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।