दलहनी फसलों की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है. जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने उड़द की दो नई प्रजातियां विकसित की हैं. दलहन में उड़द फसल की खेती किसानों को बंपर मुनाफा कराएगी. पंत उड़द-13 और पंत उड़द-14, उड़द की दो नई विकसित प्रजातियां हैं. ये किस्में दलहनी फसलों की खेती करने वाले किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेंगी.
रिपोर्ट के मुताबिक़ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. एमके वर्मा, डॉ आरके पंवार और डॉ अंजू अरोरा ने इन प्रजातियों को विकसित किया है. उड़द की इन दो किस्मों को उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल के पर्वतीय क्षेत्र के अलावा असम सहित अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों में उगाए जाने के लिए जारी किया गया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि ये प्रजातियां 22 फीसदी तक अधिक उपज दे सकती हैं. ये विभिन्न रोग व कीट प्रतिरोधी भी हैं.
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क्या है खासियत?
पंत उड़द-13 के सौ दानों का वजन 4.6 ग्राम, जबकि पंत उड़द-14 के सौ दानों का भार 4.8 ग्राम है. ये प्रजातियां पीला मोजेक विषाणु, चूर्णिल फफूंद, सफेद मक्खी, फली बेधक कीट, थ्रिप्स व मारूका कीट के लिए प्रतिरोधी है.
पंत उड़द-13 (पीयू 1920) ने उत्तरी पवर्तीय क्षेत्रों में लगातार तीन वर्षों तक उपज परीक्षणों मे मानक प्रजातियों उत्तरा, पंत उड़द-31 और पंत उड़द-10 से क्रमश: 16.44, 11.34 और 22.15 फीसदी तक अधिक उपज दी है.
पंत उड़द-14 (पीयू 1921) ने क्रमश: 10.96, 6.09 और 16.39 फीसदी अधिक उपज दी. दोनों प्रजातियों की औसत उपज 12-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही. इनकी परिपक्वता अवधि 80-85 दिन है.
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।