देश में विकेन्द्रीकृत खाद्यान्न भंडारण क्षमता का निर्माण करने के लिए सरकार ने 31 मई 2023 को सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना को मंजूरी दी, जिसे पायलट परियोजना के रूप में शुरू किया गया। इसमें प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी (PACS) के स्तर पर विभिन्न कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण जैसे विकेन्द्रीकृत गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, छंटाई एवं ग्रेडिंग सुविधाएं, शीत भंडारण इकाइयां, पैकहाउस का निर्माण किया गया। यह जानकारी केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में में दी। सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के अनुसार, 15.2.2023 को योजना की स्वीकृति के बाद से, 27.01.2025 तक पूरे देश में कुल 3,667 नई PACS पंजीकृत हुई हैं, जिनमें महाराष्ट्र में 148 नई PACS शामिल हैं।
मंत्री ने बताया कि यह योजना स्थानीय भंडारण को सक्षम बनाकर परिवहन एवं वितरण चुनौतियों को संबोधित करती है, जो PACS स्तर पर अनाज के भंडारण को सक्षम बनाती है, जिससे लंबी दूरी के परिवहन की लागत और नुकसान न्यूनतम हो जाती है। इसके अलावा, PACS को कृषि विपणन एवं खरीद प्रणालियों के साथ एकीकृत करके, किसानों के लिए भंडारण सुविधाओं तक सीधे पहुंच सुनिश्चित की जाती है, जिससे बिचौलियों पर उनकी निर्भरता कम हो जाती है। इसलिए, योजना का उद्देश्य किसानों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित करना, परिवहन लागत कम करना और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है।यह जानकारी केंद्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। उन्होंने बताया कि योजना की पायलट परियोजना के अंतर्गत पूरे देश में 11 पैक्स में 11 गोदामों का निर्माण किया गया है तथा कुल 9,750 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता प्राप्त की गई है।
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योजना का उद्देश्य
उन्होंने बताया कि सरकार ने 15.2.2023 को देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने तथा जमीनी स्तर तक इसकी पहुंच को बढ़ावा देने के लिए योजना को मंजूरी प्रदान की। इस योजना का उद्देश्य पांच वर्षों में देश की सभी पंचायतों/गांवों को कवर करते हुए दो लाख नए बहुउद्देशीय PACS (एम-पैक्स), डेयरी, मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना भारत सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं के अभिसरण से डेयरी अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), पीएम मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) आदि की स्थापना करना शामिल है, जिसे राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) और राज्य सरकारों से सहयोग प्राप्त होगा।
PACS का होगा कम्प्यूटरीकरण
भारत सरकार ने कार्यात्मक PACS का कम्प्यूटरीकरण करने के लिए 2,516 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ एक परियोजना को मंजूरी प्रदान की है, जिसमें सभी कार्यात्मक PACS को ईआरपी (उद्यम संसाधन योजना) आधारित सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर लाना, उन्हें राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के माध्यम से नाबार्ड से जोड़ना शामिल है। परियोजना के लिए नाबार्ड द्वारा राष्ट्रीय स्तर का कॉमन सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है और 27.01.2025 तक 50,455 PACS ईआरपी सॉफ्टवेयर पर ऑनबोर्ड हो चुके हैं। अब तक 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से 67,930 पैक्स के कंप्यूटरीकरण के प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई है, जिसके लिए 27.01.2025 तक संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को भारत सरकार के भाग के रूप में 741.34 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं और 60,382 PACS को हार्डवेयर वितरित किए गए हैं।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।