APEDA ने ऑर्गेनिक खेती करने वाले सभी किसानों के लिए 100% फिजिकल वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया है। अब नया रजिस्ट्रेशन, सर्टिफिकेट रिन्यू या बदलाव हर मामले में जांच होगी। किसानों को पहचान और खेती का रिकॉर्ड देना होगा, और खर्च भी खुद उठाना होगा। यह कदम फर्जी प्रमाणपत्र रोककर भारत की ऑर्गेनिक खेती प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए उठाया गया है।
भारत में ऑर्गेनिक खेती को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) ने बड़ा फैसला लिया है। अब ऑर्गेनिक खेती करने वाले हर किसान का फिजिकल वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा। यह नियम नए किसानों के रजिस्ट्रेशन, पुराने सर्टिफिकेट के रिन्यूअल और सर्टिफिकेशन एजेंसी बदलने की प्रक्रिया सभी पर लागू होगा।कुछ विशेषज्ञों ने इस कदम को चुनाव आयोग के SIR (Special Intense Review) की तरह बताया है, क्योंकि इससे खराब और फर्जी ऑर्गेनिक सिस्टम पर रोक लग सकती है।
क्यों जरूरी हुआ यह नियम?
पिछले कुछ समय से बाजार में ऑर्गेनिक टैग लगे हुए उत्पादों की संख्या बढ़ी है, लेकिन उनमें से काफी उत्पाद असली ऑर्गेनिक नहीं थे। किसानों, खरीदारों और निर्यात बाजार में भ्रम पैदा हो रहा था। इसलिए APEDA ने यह फैसला लिया कि अब केवल उन्हीं किसानों को ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट मिलेगा जो वेरिफिकेशन में पूरी तरह सही पाए जाएंगे।
किस-किस पर लागू होगा वेरिफिकेशन?
नए ऑर्गेनिक किसान
सर्टिफिकेट रिन्यू कराने वाले किसान
जो किसान सर्टिफिकेशन एजेंसी बदलना चाहते हैं
इन सभी के लिए वेरिफिकेशन अनिवार्य है।
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कैसे होगा वेरिफिकेशन?
किसान को अपना आधार कार्ड और जरूरी दस्तावेज देने होंगे।
खेत, खेती की प्रक्रिया, और इस्तेमाल किए गए तरीके की जांच होगी।
पूरी प्रक्रिया तीन महीनों के भीतर पूरी करनी होगी।
रिकॉर्ड और लोकेशन का डिजिटल एंट्री TraceNet सिस्टम में होगी, जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी।
वेरिफिकेशन का खर्च किसानों या किसान समूहों को उठाना होगा। हालांकि, APEDA ने यह भी कहा है कि वेरिफिकेशन का शुल्क अधिक न रखा जाए ताकि किसानों पर आर्थिक बोझ न पड़े।
अगर गड़बड़ी मिली तो क्या होगा?
अगर गड़बड़ी मिली तो सर्टिफिकेशन एजेंसी पर पेनाल्टी लग सकती है। किसान या किसान समूह की ऑर्गेनिक मान्यता रद्द हो सकती है।और गलत रिकॉर्ड मिले तो पूरी परियोजना रोक भी दी जा सकती है।
इस फैसले से क्या बदलेगा?
इससे असली ऑर्गेनिक किसानों को पहचान और फायदा मिलेगा।
फर्जी सर्टिफिकेशन खत्म होंगे।
भारत के ऑर्गेनिक उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में विश्वसनीयता बढ़ेगी।
ऑर्गेनिक खेती सिस्टम और मजबूत और पारदर्शी बनेगा।
APEDA का यह फैसला भारत में ऑर्गेनिक खेती की दिशा बदल सकता है। जहां एक तरफ किसानों को थोड़ी मेहनत और खर्च बढ़ाना होगा, वहीं दूसरी तरफ असली ऑर्गेनिक खेती करने वालों के लिए यह एक बड़ा और सकारात्मक कदम साबित होगा।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।