भारत और रूस मिलकर रूस में एक बड़ा यूरिया प्लांट बना रहे हैं जिसकी क्षमता सालाना 20 लाख टन होगी। इस प्रोजेक्ट में करीब ₹10,790 करोड़ का निवेश होगा और उत्पादन 2027-28 से शुरू होने की उम्मीद है। रूस की कंपनी Uralchem की इसमें 50% हिस्सेदारी होगी, जबकि भारत की तीन कंपनियाँ IPL, RCF और NFL बाकी 50% हिस्सेदारी साझा करेंगी। इस प्लांट में बनने वाले यूरिया का कम से कम 50% भारत खरीदेगा, जिससे देश की आयात पर निर्भरता कम होगी।
भारत और रूस के बीच उर्वरक क्षेत्र में बड़ा समझौता हुआ है। रूस की कंपनी Uralchem JSC और भारत की तीन कंपनियाँ — इंडियन पोटाश लिमिटेड (IPL), राश्ट्रिय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (RCF) और नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (NFL) मिलकर रूस में एक यूरिया फैक्ट्री बनाएंगी। इस प्लांट की क्षमता 2 मिलियन टन (20 लाख टन) प्रति वर्ष होगी।
2027-28 तक शुरू होगा उत्पादन
यह समझौता नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की मौजूदगी में साइन किया गया। इस प्रोजेक्ट में कुल ₹10,790 करोड़ (लगभग $1.2 बिलियन) का निवेश होगा और इसका उत्पादन 2027-28 तक शुरू होने की उम्मीद है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच उर्वरकों और कृषि सहयोग को मजबूत करना किसानों और खाद्य सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है। इसमें रूस की कंपनी Uralchem की इसमें 50% हिस्सेदारी होगी, जबकि भारत की तीन कंपनियाँ IPL — 22.5%, RCF — 22.5% और NFL — 5% की हिस्सेदारी साझा करेंगी। आपको बता दें कि IPL पहली बार यूरिया उत्पादन में प्रवेश कर रहा है, जबकि RCF और NFL पहले से इस क्षेत्र में काम करते हैं।
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भारत को होगा बड़ा फायदा
इस प्लांट से बनने वाले यूरिया में से कम से कम 50% यूरिया खरीदने का पहला अधिकार भारत को मिलेगा। इससे भविष्य में भारत की यूरिया आयात पर निर्भरता कम होगी। बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल तकनीकी और वित्तीय जांच का काम चल रहा है। उम्मीद है कि 2026 के मध्य में निर्माण शुरू होगा और 2 साल में प्लांट तैयार हो जाएगा।यह संयुक्त परियोजना भारत-रूस संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ आने वाले समय में किसानों को समय पर और सस्ती यूरिया उपलब्ध कराने में मदद करेगी।
क्यों जरूरी है यह प्रोजेक्ट?
भारत में हर साल यूरिया की मांग बढ़ रही है। सरकार के अनुसार 2035-36 तक मांग 44.4 मिलियन टन तक पहुँच जाएगी, जबकि 2024-25 में यह मांग 38.8 मिलियन टन थी।हालांकि, भारत में 33 यूरिया फैक्ट्रियाँ हैं, लेकिन बढ़ती मांग के कारण बड़ा हिस्सा अब भी आयात करना पड़ता है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।