देर से बोई गेहूं में भी अच्छी पैदावार कैसे लें? किसानों के लिए IIWBR की अहम सलाह

किसानों के लिए IIWBR की अहम सलाह


कृषि संस्थान ने देर से गेहूं बोने वाले किसानों को सलाह दी है कि वे लेट बुवाई की उपयुक्त और रोग-प्रतिरोधक किस्में ही चुनें और बीज भरोसेमंद स्रोत से लें। पहली सिंचाई समय पर करें, यूरिया सिंचाई से पहले डालें, और रतुआ रोग की नियमित निगरानी करें। सही बीज उपचार, लाइन से बुवाई और संतुलित खाद प्रबंधन से देर से बोई गई फसल में भी अच्छी पैदावार मिल सकती है।

देश के कई राज्यों में गेहूं की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन जहां अभी भी बुवाई बाकी है, वहां किसानों के लिए करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) ने जरूरी निर्देश जारी किए हैं। संस्थान ने बताया कि जो किसान 1 दिसंबर से 15 दिसंबर के बीच गेहूं बोने की योजना बना रहे हैं, उन्हें पछेती (लेट) बुवाई के लिए खासतौर पर तैयार की गई और रोग-प्रतिरोधक किस्में ही चुननी चाहिए।इसके साथ ही सलाह दी गई है कि बीज हमेशा किसी प्रमाणित और विश्वसनीय कृषि केंद्र से ही खरीदें, जिससे फसल में बीमारी या कम उत्पादन की संभावना कम हो और बेहतर पैदावार मिल सके।

गेहूं की अगेती बुवाई
जिन किसानों ने गेहूं की अगेती बुवाई (25 अक्टूबर से 5 नवंबर) की है, उन्हें सलाह दी गई है कि वे बुवाई के 21–25 दिन बाद पहली सिंचाई जरूर कर लें और 30–35 दिन बाद खेत में खरपतवार नियंत्रण भी करें। इस समय फसल में कीट या रोग का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए खेत की नियमित निगरानी जरूरी है। वहीं, जिन किसानों ने 5 नवंबर के बाद बुवाई की है, उन्हें भी पहली सिंचाई समय पर करनी चाहिए और पानी की मात्रा नियंत्रित रखनी चाहिए, क्योंकि पहली सिंचाई गेहूं के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।

खाद प्रबंधन के लिए सलाह
संस्थान ने किसानों को खाद प्रबंधन पर भी खास ध्यान देने की सलाह दी है। नाइट्रोजन (यूरिया) की पूरी मात्रा बुवाई के 40–45 दिन के अंदर पूरी कर लें और हमेशा सिंचाई से ठीक पहले ही यूरिया डालें ताकि पौधों को पोषण सही तरह मिले। लगातार कोहरा, कड़ाके की ठंड या बादल वाले मौसम में यूरिया न डालें, वरना इससे पौधों को नुकसान हो सकता है। किसानों को सिंचाई करते समय मौसम पूर्वानुमान का पालन करने की भी सलाह दी गई है, और बारिश की संभावना होने पर सिंचाई नहीं करनी चाहिए।

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रोग प्रबंधन
रोग प्रबंधन में रतुआ (rust disease) को लेकर विशेष सावधानी बरतने की बात कही गई है। इसके लक्षण दिखाई देने पर तुरंत कृषि विज्ञान केंद्र, राज्य कृषि विश्वविद्यालय या अनुसंधान संस्थान से संपर्क कर मार्गदर्शन लें। साथ ही पिछली फसल के अवशेषों को जलाने से बचें और अगर अवशेष उपस्थित हों, तो बुवाई के लिए हैप्पी सीडर, सुपर सीडर या स्मार्ट सीडर का उपयोग करें। इससे समय पर बुवाई भी हो जाएगी और मिट्टी में कार्बन की मात्रा भी बढ़ेगी।

शुरुआत करने वाले किसानों को सलाह
खेती की शुरुआत करने वाले किसानों को सलाह दी गई है कि खेत की अच्छी जुताई करें, उसके बाद बीज को कार्बेंडाजिम जैसे फफूंदनाशक से उपचारित करें। प्रति एकड़ 40 किलो बीज पर्याप्त होता है। लाइन से लाइन की दूरी 22–25 सेमी रखते हुए सीड ड्रिल से बुवाई करना बेहतर माना जाता है। बुवाई के समय डीएपी, यूरिया और पोटाश जैसी खादों का उपयोग करें और पूरी फसल अवधि में 3–4 सिंचाई करनी जरूरी है।

इस सलाह का मुख्य उद्देश्य किसानों को यह समझाना है कि सही समय पर सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन, रोग नियंत्रण और उपयुक्त किस्म के चयन से देर से बोई गई गेहूं की फसल में भी अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।

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Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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