प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती को देशभर में एक जन आंदोलन बनाने की अपील की है। कोयंबटूर में हुए प्राकृतिक खेती शिखर सम्मेलन 2025 के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि यह मॉडल बिना रासायनिक खाद के खेती को बढ़ावा देता है और मिट्टी, पर्यावरण तथा किसानों की आमदनी तीनों के लिए फायदेमंद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों और किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने और इसे एक बड़े जन आंदोलन में बदलने की अपील की है। उन्होंने कोयंबटूर में आयोजित प्राकृतिक खेती शिखर सम्मेलन 2025 के अनुभवों को लिंक्डइन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया। उनके अनुसार, यह सम्मेलन किसानों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के बीच सहयोग का बेहतरीन उदाहरण है, जो भारत में टिकाऊ कृषि की नई राह तैयार कर रहा है।
जैविक और टिकाऊ खेती की चर्चा
तमिलनाडु के किसानों द्वारा अपनाई जा रही जैविक और टिकाऊ खेती पद्धतियों की चर्चा कुछ महीनों पहले शुरू हुई थी। अगस्त में किसानों के एक समूह ने प्रधानमंत्री को प्राकृतिक खेती मॉडल दिखाया और शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया। 19 नवंबर को आयोजित यह समिट इस बदलाव का प्रतीक बन गया।
पीएम मोदी ने क्या कहा?
पीएम मोदी ने कहा कि प्राकृतिक खेती भारत की परंपरागत किसान बुद्धि और आधुनिक पर्यावरण सिद्धांतों का मिश्रण है। इसमें बिना रासायनिक खाद और कीटनाशक के खेती होती है। यह तरीका मिट्टी की उर्वरता, जैव विविधता और फसल अवशेषों के उपयोग पर आधारित है।
कई प्रेरक कहानियाँ
सम्मेलन में कई प्रेरक कहानियाँ सामने आईं —
- एक किसान 10 एकड़ में बहुस्तरीय खेती कर रहा है, जहाँ केले, नारियल, पपीता, काली मिर्च और हल्दी के साथ 60 देसी गायें, 400 बकरियां और मुर्गी पालन भी शामिल है।
- एक अन्य किसान पारंपरिक धान किस्मों मापिल्लई सांबा और करुप्पु कावुनी से हेल्थ मिक्स, फूला चावल, चॉकलेट और प्रोटीन बार तैयार कर रहा है।
- एक युवा किसान 15 एकड़ में प्राकृतिक खेती करता है और अभी तक 3,000 से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षण भी दे चुका है।
ये भी पढ़ें – फल और सब्जी किसानों के लिए बिहार सरकार की नई सब्सिडी योजना
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन
सम्मेलन में कई स्टार्टअप और शोध भी आकर्षण का केंद्र रहे, जैसे समुद्री शैवाल से जैविक खाद बनाने का प्रोजेक्ट, जिसमें 600 से अधिक मछुआरे जुड़े हैं, और मिट्टी सुधारक बायोचार तकनीक।पीएम मोदी ने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पिछले साल राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन शुरू किया, जिससे लाखों किसान जुड़ चुके हैं। साथ ही पीएम किसान, किसान क्रेडिट कार्ड और निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं भी इस अभियान को मजबूती दे रही हैं।
प्राकृतिक खेती में महिलाओं की भूमिका
उन्होंने यह भी लिखा कि प्राकृतिक खेती में महिलाओं की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। पंचगव्य, जीवामृत, बीजामृत और मल्चिंग जैसी तकनीकें खेती को लाभदायक और पर्यावरण अनुकूल बना रही हैं। किसानों को संदेश दिया गया कि शुरुआत एक एकड़ और एक सीजन से करें और फिर परिणाम देखकर आगे बढ़ें।
अंत में पीएम मोदी ने कहा कि कोयंबटूर का यह सम्मेलन स्पष्ट संकेत देता है कि भारत का कृषि भविष्य प्राकृतिक खेती पर आधारित है, और यह बदलाव अब तेजी से आगे बढ़ रहा है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।