मध्यप्रदेश देश में औषधीय और सुगंधित फसलों का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बन गया है।सरकार की योजना के तहत किसानों को इन फसलों की खेती पर 20% से 50% तक सब्सिडी मिल रही है।इससे पारंपरिक खेती की तुलना में किसानों की आमदनी बढ़ रही है।
मध्यप्रदेश अब देश में औषधीय और सुगंधित फसलों का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बन चुका है। राज्य सरकार की औषधि एवं सुगंधित फसल क्षेत्र विस्तार योजना के तहत किसान इन खास फसलों की खेती कर रहे हैं और सरकार उन्हें 20% से 50% तक सब्सिडी दे रही है। इससे किसानों को पारंपरिक फसलों की तुलना में ज्यादा कमाई और बड़ा बाज़ार मिल रहा है।
46,837 हेक्टेयर भूमि पर हो रही है खेती
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024-25 में 46,837 हेक्टेयर भूमि पर औषधीय फसलों की खेती हो रही है। यह क्षेत्र वर्ष 2022-23 की तुलना में 2,512 हेक्टेयर अधिक है। उत्पादन भी बढ़कर 1,24,199 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। पूरे भारत में जितनी औषधीय फसलों का उत्पादन होता है, उसमें से 44% अकेला मध्यप्रदेश करता है। सरकार किसानों को डाबर, बैद्यनाथ जैसी कंपनियों से सीधा जोड़ रही है, जिससे उन्हें अपनी फसल अच्छी कीमत पर बेचने में आसानी हो रही है।
कौनसी फसलें सबसे ज्यादा बोई जा रही हैं?
| फसल | क्षेत्रफल |
|---|---|
| इसबगोल | 13,000 हेक्टेयर |
| अश्वगंधा | 6,626 हेक्टेयर |
| सफेद मूसली | 2,403 हेक्टेयर |
| कोलियस | 974 हेक्टेयर |
| अन्य फसलें | 23,831 हेक्टेयर |
क्या है ये योजना?
यह योजना कृषि, उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा चलाई जा रही है। इसके तहत किसानों को औषधीय पौधे लगाने पर एक बार की सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी 0.25 हेक्टेयर से लेकर 2 हेक्टेयर तक के क्षेत्र पर मिलती है।इसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना, औषधीय फसलों का क्षेत्र विस्तार करना और बढ़ती घरेलू व विदेशी मांग को पूरा करना है।
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सब्सिडी कैसे मिलेगी?
- किसान अपने जिले के कृषि या उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें।
- अधिकारी जमीन और स्थिति के अनुसार सही फसल चुनने में मदद करेंगे।
- आवेदन जमा होने के बाद दस्तावेज़ जाँचकर स्वीकृत किए जाते हैं।
- खेती के दौरान विभाग के विशेषज्ञ खेत का निरीक्षण करते हैं और तकनीकी सलाह देते हैं।
- हर प्रक्रिया पूरी होने पर सब्सिडी सीधे किसान के खाते में जमा कर दी जाती है
सरकारी मदद, सब्सिडी और बेहतर बाजार के कारण मध्यप्रदेश के किसान अब औषधीय पौधों की खेती से अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। आने वाले समय में यह क्षेत्र किसानों के लिए और भी बड़ा अवसर बन सकता है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।