भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए मौसम और फसलों को ध्यान में रखते हुए सलाह जारी की है। पश्चिमी मध्य प्रदेश में कोल्ड वेव की संभावना के कारण किसानों को फसलों की सुरक्षा, हल्की सिंचाई और पौधों को ढकने की सलाह दी गई है। गेहूं, चना, सरसों और रबी सब्जियों की बुवाई शुरू करने और बीजों का फंगीसाइड से उपचार करने को कहा गया है। कपास, सरसों और सब्जियों में कीट नियंत्रण के लिए दवाओं का प्रयोग करने की सलाह दी गई है।
यह सलाह भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए जारी की है। मौसम विभाग ने बताया कि पश्चिमी मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में ठंड बढ़ने और कोल्ड वेव का खतरा है। ऐसे में किसानों को फसलों को ठंड से बचाने के लिए शाम के समय हल्की लेकिन बार-बार सिंचाई करने या स्प्रिंकलर सिंचाई करने की सलाह दी गई है। छोटे फलदार पौधों को ठंडी हवाओं और पाले से बचाने के लिए उन्हें पुआल, पॉलीथिन शीट या बोरी से ढकना जरूरी है।
गेहूं की बुवाई
IMD ने सतपुड़ा पठारी क्षेत्र के किसानों को गेहूं की बुवाई शुरू करने की सलाह दी है। बुवाई से पहले बीजों को थिरम या विटावैक्स से ट्रीट करना चाहिए और बुवाई के बाद मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए खेत में पाटा चलाना जरूरी बताया गया है। वहीं निमाड़ क्षेत्र में चने की बुवाई की सलाह दी गई है। बीजों को पहले फंगीसाइड और ट्राइकोडर्मा से ट्रीट करना चाहिए और आधार खाद के रूप में सही मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और सल्फर डालने की सलाह दी गई है।
कपास के लिए
कपास उगाने वाले किसानों के लिए IMD ने कहा है कि जब पौधे 125 से 135 दिन के हों, तब नाइट्रोजन की निर्धारित मात्रा दें। साथ ही, बीटी कॉटन में रस चूसने वाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए थियामेथोक्साम स्प्रे करने की सलाह दी गई है। फूल गिरने से रोकने के लिए प्लेनोफिक्स का उपयोग और समय पर सिंचाई जरूरी बताई गई है।
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सरसों किसानों के लिए
गिर्द क्षेत्र के सरसों किसानों को चेतावनी दी गई है कि फसलों में रस चूसने वाले कीड़ों का हमला हो सकता है। इसके लिए डाइमेथोएट स्प्रे करने की सलाह दी गई है। साथ ही, गेहूं, चना, आलू और मसूर की बुवाई का सही समय बताया गया है।सेंट्रल नर्मदा वैली में गेहूं, चना और सरसों की बुवाई करने और बीज उपचार करने की सलाह दी गई है। गन्ने में यदि अर्ली शूट बोरर दिखाई दे, तो सुझाए गए कीटनाशक का उपयोग करें।
गोबर खाद का इस्तेमाल करने की सलाह
IMD ने विंध्य और सतपुड़ा क्षेत्र में किसानों को खेत में मिट्टी की नमी बचाने, खरपतवार हटाने और अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर खाद का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। अगर सब्जियों में पत्तियों का पीला पड़ना या जड़ सड़न दिखे, तो कार्बेन्डाजिम का स्प्रे करना चाहिए।
छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए
छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए सलाह में कहा गया है कि जहां धान पक चुके हैं, वहां कटाई शुरू कर दें और भंडारण से पहले अनाज को अच्छी तरह सुखाएं। इसी के साथ, गेहूं और रबी सब्जियों की नर्सरी तैयार करें और बीज की उचित मात्रा का उपयोग करें। जिन क्षेत्रों में सल्फर की कमी है, वहां सरसों की बुवाई से पहले मिट्टी में सल्फर मिलाएं।
बस्तर क्षेत्र में जहां धान और मक्का पक चुके हैं, वहां कटाई शुरू करने और चना व सरसों की पौध लगाने की सलाह दी गई है। सब्जियों जैसे टमाटर, गोभी, बैंगन और मिर्च की खेती के लिए सही खाद की मात्रा और पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखना महत्वपूर्ण बताया गया है।
IMD का मुख्य संदेश
फसलें मौसम के बदलाव के प्रति संवेदनशील हैं, इसलिए समय पर बुवाई, बीज उपचार, सही सिंचाई, पौधों की सुरक्षा और कीट नियंत्रण से उत्पादन बेहतर होगा।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।